कल तक 'महबूब' थे आज बेवफा हुए
अमरोहा : कल तक वो दोनों 'महबूब' के चहेते थे, सच में महबूब थे। डेढ़ साल पहले उन दोनों ने
अमरोहा : कल तक वो दोनों 'महबूब' के चहेते थे, सच में महबूब थे। डेढ़ साल पहले उन दोनों ने महबूब के लिए अपनी तुर्क बिरादरी से बेवफाई कर दी थी। राजनीति के खेल ने ऐसी चाल चली कि दोनों अपने महबूब से बेवफाई कर बैठे। अपने महबूब का ही दिल नहीं तोड़ा बल्कि डेढ़ साल के भीतर अपनी बिरादरी की उम्मीदों को दूसरी बार झटका दिया है। शनिवार को इफ्तेखार व रिजायुल को समझाने की तुर्क बिरादरी की बैठक भी बेनतीजा रही।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उपचुनाव में वार्ड 23 के हाजी इफ्तेखार व वार्ड 24 के चौधरी रियाजुल दो ऐसे सदस्य हैं जिनके ऊपर काफी हद तक यह चुनाव निर्भर है। दोनों ही पूर्व कैबिनेट मंत्री विधायक महबूब अली के बेहद खास व भरोसेमंद लोगों में शामिल रहे हैं। अपनी तुर्क बिरादरी में भी दोनों का खासा रुतबा है। यह दोनों नाम महबूब अली की तुर्क बाहुल्य जोया क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनवाने वाली टीम के सिरमौर माने जाते थे।
हाजी इफ्तेखार व चौधरी रियाजुल महबूब के कितने महबूब थे इसका अंदाजा नवंबर 2016 में शौकत पाशा मर्डर केस से ही लगाया जा सकता है। उस दौरान शौकत पाशा मर्डर केस की छींटे महबूब अली के दामन पर लगाई जा रही थीं। उनके कुछ विरोधियों की साजिश के चलते तुर्क बिरादरी का एक बड़ा हिस्सा महबूब अली के विरोध में खड़ा हो गया। विधानसभा चुनाव करीब था, लिहाजा शौकत मर्डर केस को आधार बनाकर विरोधियों ने तुर्क बिरादरी के बीच महबूब अली के खिलाफ विद्रोह की ¨चगारी भड़का दी। तमाम धरना-प्रदर्शन हुए, पुतले फूंके गए। यहां तक कि तुर्क बिरादरी की पंचायतों में महबूब अली का बहिष्कार करने का ऐलान भी कर दिया गया। ऐसे में बिरादरी का विरोध झेलते हुए महबूब अली का समर्थन करने वाले चंद लोगों में हाजी इफ्तेखार व चौधरी रियाजुल भी शामिल थे।
दोनों को बिरादरी की बुराई झेलनी पड़ी थी, लेकिन महबूब अली का साथ नहीं छोड़ा। अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उपचुनाव में यह तस्वीर पूरी तरह से उलट चुकी है। दोनों ने अपने महबूब के साथ बेवफाई कर दी है। दोनों ने वीडियो वायरल कर न सिर्फ उपचुनाव में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, बल्कि सपा से भी नाता तोड़ लिया है। संकट की इस घड़ी में महबूब अली के इशारे पर शनिवार को जोया में पूर्व नगराध्यक्ष जमशेद हुसैन के आवास पर तुर्क बिरादरी के प्रधानों व जिम्मेदार लोगों की गुप्त बैठक हुई। इसमें दोनों बागी सदस्यों को बिरादरी के बूते सपा की रेनू चौधरी के पक्ष में मतदान करने के लिए मनाने का मंथन चला परंतु यह बैठक भी बेनतीजा रही। यानि महबूब का आखिरी प्रयास भी सफल न हो सका। वायरल हुई वीडियो ने बैठक में शामिल तुर्क बिरादरी के जिम्मेदार लोगों को भी मायूसी दे दी। यानि जो कल तक बेहद महबूब थे, आज सबूत के साथ बेवफा हो गए।