नदियों को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी
-- पतित पावनी गंगा में मूर्तियों का विसर्जन नहीं होने दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी पहले ही रोक लगा चुकी है। हां, दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारियों से वार्ता करके गंगा के किनारे विशाल गड्ढा खोदवाया जाएगा और उसमें पर्याप्त पानी की व्यवस्था की जाएगी। ताकि उसमें श्रद्धापूर्वक मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जा सके। -- गुलाब चंद्र, प्रभारी जिलाधिकारी, अमरोहा। -- पतित पावनी गंगा में मूर्तियों का विसर्जन नहीं होने दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी पहले ही रोक लगा चुकी है। हां, दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारियों से वार्ता करके गंगा के किनारे विशाल गड्ढा खोदवाया जाएगा और उसमें पर्याप्त पानी की व्यवस्था की जाएगी। ताकि उसमें श्रद्धापूर्वक मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जा सके। -- गुलाब चंद्र, प्रभारी जिलाधिकारी, अमरोहा।
अमरोहा : नदियों को साफ व स्वच्छ रखने को सभी को आगे आना होगा। ब्रजघाट प्रशासन के बाद अमरोहा जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन को सक्रिय हो गया है। दशहरे पर मूर्ति विसर्जन के लिए जिला प्रशासन दुर्गा पूजा समिति पदाधिकारियों से वार्ता कर गड्ढे खोदवाएगा और वहीं पर मूर्तियों का विसर्जन सुनिश्चित किया जाएगा।
नदियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तीन साल पूर्व 2015 में नदियों में मूर्तियों के विसर्जन और औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट छोड़ जाने पर रोक लगा चुका है। एनजीटी भी गाइड लाइन जारी कर चुका है। इसके बाद भी लोग जागरूक नहीं हो रहे। अब पतित पावनी गंगा में मूर्ति विसर्जन आसान नहीं होगा। इस बार ब्रजघाट प्रशासन की तरह जिला प्रशासन भी सख्त हो गया है। ब्रजघाट प्रशासन की ओर से पुराने श्मशान घाट के पास लंबा-चौड़ा गड्ढा खोदवाया जा रहा है, जहां मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा।
वैसे गणेश चतुर्थी पर्व के समापन पर बड़ी संख्या में लोग मूर्ति विसर्जन को लेकर ब्रजघाट पहुंचे थे। इस दौरान पुलिस प्रशासन को सरकारी नियमों का पालन कराना चुनौती बन गया था। चूंकि अब नवरात्र पर्व प्रारंभ हो चुका है। इसके समापन पर भी भक्त मूर्ति विसर्जन को ब्रजघाट या तिगरी धाम पहुंचते हैं।
ब्रजघाट व तिगरी में स्थानीय लोग ही नहीं पहुंचते बल्कि दूसरे जिलों और मंडलों के लोग भी पहुंचते हैं। इसके लिए गढ़मुक्तेश्वर प्रशासन ने ब्रजघाट में पुराने श्मशान के समीप की जगह को इसके लिए चिह्नित किया है। यहां एक बड़ा-गहरा गढ्डा खोदवाया जा रहा है। वहीं स्थानीय जिला प्रशासन ने भी गंगा किनारे गड्ढा खोदवाने की तैयारी कर ली है। पर्यावरण प्रेमी संजीव पाल का कहना है कि गंगा ही नहीं अन्य नदियों को बचाने के लिए भी हमें खुद आगे आना होगा। ऐसी नौबत ही न आए कि शासन-प्रशासन को ठोस कदम उठाने पड़ें। भविष्य के लिए नदियों को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। पतित पावनी गंगा में मूर्तियों का विसर्जन नहीं होने दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी पहले ही रोक लगा चुकी है। हां, दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारियों से वार्ता करके गंगा के किनारे विशाल गड्ढा खोदवाया जाएगा और उसमें पर्याप्त पानी की व्यवस्था की जाएगी। ताकि उसमें श्रद्धापूर्वक मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जा सके।
गुलाब चंद्र, प्रभारी जिलाधिकारी, अमरोहा।