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गंगा की रेती पर बसने लगा आस्था का मेला

पतित पावनी मां गंगे का तट। उसके किनारे पुआल से बनी सड़के, उन पर दौड़ती मोटर साइकिल, कार, ट्रैक्टर-ट्राली जैसे वाहन। उनकी साइडों में टीन की चादरों की बाउंड्री और बाउंड्री परिसर में तंबू ही तंबू। चौराहों पर तैयार होते झूले-सर्कस और तरह-तरह के सामान की दुकानें। यह स्थिति एक-दो किमी की नहीं है बल्कि पूरे आठ किमी के दायरे में नजर आ रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 10:44 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 10:44 PM (IST)
गंगा की रेती पर बसने लगा आस्था का मेला

गजरौला : पतित पावनी मां गंगे का तट। उसके किनारे पुआल से बनी सड़कें, उन पर दौड़ती मोटर साइकिल, कार, ट्रैक्टर-ट्राली जैसे वाहन। उनकी साइडों में टीन की चादरों की बाउंड्री और बाउंड्री परिसर में तंबू ही तंबू। चौराहों पर तैयार होते झूले-सर्कस और तरह-तरह के सामान की दुकानें। यह स्थिति एक-दो किमी की नहीं है बल्कि पूरे आठ किमी के दायरे में नजर आ रही है।

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कार्तिक पूर्णिमा के मुख्य स्नान के लिए तिगरीधाम में तैयार होने वाले ऐतिहासिक मेले में कुछ ऐसा ही हाल नजर आने लगा है, जो मेला स्थल पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। साथ ही यह संदेश भी देने की कोशिश कर रहा है कि पूरे साल जिस विशेष स्नान पर्व का इन्तजार रहता है। वह नजदीक आ पहुंचा है। उसी की तैयारी को यहां पूरा लाव-लश्कर जमा हो रहा है। रोज डीएम हेमंत कुमार व एसपी डॉ विपिन ताडा पहुंच रहे हैं। मेला मजिस्ट्रेट संजय कुमार, जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी हरमीक ¨सह, इंजीनियर भगत ¨सह पहुंच रहे और ठेकेदारों से सड़क, बिजली, पानी, स्नान, शौचालय निर्माण इत्यादि के कामों को गति दिलवा रहे हैं।

तिगरी में लगने वाला यह मेला ऐतिहासिक और सदियों पुराना बताया जाता है। इसकी तैयारी में सरकारी निजाम नहीं जुटता है, बल्कि पूरे तिगरी गांव के लोग भी अलग-अलग कारणों से जुड़ता है। कोई पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग में लगता है तो कोई ठेकेदारों के साथ मजदूरी के काम में लग जाता है। पिछले करीब एक माह से चल रहे इस तरह के प्रयास अब रंग लाते नजर आने लगे है। सूना सा रहना वाला गंगा तट अब आस्था के मेले के रूप में दिखाई दे रहा है, जहां दूर तक पुआल की सड़क नजर आ रहीं हैं।

झूले-सर्कस तैयार होते दिख रहे हैं। जगह-जगह चाट- पकौड़ी, चाय- बिस्कुट और छोले-भटूरे के ठेले दिख रहे हैं। जहां श्रद्धालु व अधिकारी अपनी-अपनी व्यवस्था व संसाधनों के साथ रहते हैं, वो तंबू भी दूर तक नजर आ रहे हैं। स्नान घाट भी तैयार किए जा रहे हैं। पेयजल को हैंड पंप, तो बिजली के लिए जेनरेटर की सुविधा है। शौचालय भी तैयार हो गए हैं। यह सुविधाएं श्रद्धालुओं के डेरे तक पहुंचाने के लिए ठेकेदार भी आ जमे हैं। ऐतिहासिक गंगा मेला लगभग तैयार हो चुका है, मेला स्थल पर श्रद्धालुओं को जिन बिजली, पानी, सड़क जैसी सुविधाओं की आवश्यकता रहती है। वह दिखाई देने लगी हैं। जो कमियां रह गई हैं, उन्हें पूरा कराया जा रहा है। प्रशासन उनकी समीक्षा भी कर रहा है। पूरी कोशिश यही है कि मेले में श्रद्धालुओं को अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।

सरिता चौधरी, अध्यक्ष, जिला पंचायत, अमरोहा।


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