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बाढ़ के जख्मों पर वायदों का मरहम

गजरौला हर साल खादर की आवाम के लिए मुसीबत बनकर बाढ़ आती है। हजारों लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 10:44 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 10:44 PM (IST)
बाढ़ के जख्मों पर वायदों का मरहम
बाढ़ के जख्मों पर वायदों का मरहम

गजरौला : हर साल खादर की आवाम के लिए मुसीबत बनकर बाढ़ आती है। हजारों लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। फसलें नष्ट हो जाती हैं। संक्रामक बीमारियों की चपेट में आकर पशुओं की भी मौत हो जाती हैं। घरों में पानी घुसने से नुकसान होता है। इसके बावजूद शासन द्वारा सिर्फ बाढ़ पीड़ितों के जख्मों पर वाश्दों का मरहम लगाया था।

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खादर क्षेत्र के गांव शीशोवाली, टीकोवाली, जहांगीर वाली बुड्ढी, दारानगर, लठीरा, तिगरी, ओसीता जगदेपुर, रमपुरा, सहित करीब दर्जनभर गांव दो-तीन महीने तक बाढ़ की चपेट में रहते हैं। कई-कई फीट पानी गांवों में भरा रहता है। शहरी जिदगी से ग्रामीण दूर हो जाते हैं। चूल्हों में जलने वाली लड़कियां भी भीग जाती हैं। खेतों में खड़ी फसलें बेदम हो जाती हैं। संक्रामक बीमारियां बढ़ने से पशुओं की भी मौत होती हैं। इंसानी जीवन पर भी संकट के बादल मंडराने लगते हैं। कच्चे मकान भी ध्वस्त होते हैं लेकिन, प्रशासनिक चश्मा में यह स्थिति सामान्य है। यही कारण है कि हर साल प्रशासनिक स्तर द्वारा बाढ़ के बाद गांवों में सर्वे कराकर पीड़ितों के नुकसान की रिपोर्ट तैयार कराई जाती है लेकिन, मुआवजे के नाम पर नुकसान के हिसाब से मुआवजा नहीं मिल पाता। प्रशासनिक चश्मे में नहीं दिखती बाढ़

गजरौला : भले ही तीन माह तक खादर क्षेत्र के दर्जन भर गांव बाढ़ के पानी में घिरे रहते हो। लेकिन, प्रशासन की नजरों में यह बाढ़ नहीं बल्कि सामान्य स्थिति रहती है। यही कारण है कि पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल पाता है। सिर्फ सर्वे तक ही कवायद रह जाती है। इस बार शीशोवाली गांव में पानी बढ़ने से पांच ग्रामीणों के कच्चे मकान ध्वस्त हुए हैं। वहीं पानी भरा रहने से फसलें भी बर्बाद हुई हैं लेकिन, मुआवजे के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है। सर्वे होता है। मगर, उसका कोई लाभ नहीं मिलता है।

विजयपाल सिंह, ग्रामीण, मंदिर वाली भुड्डी। कई साल पूर्व बाढ़ के पीड़ितों को 80-90 रुपये प्रति एक व्यक्ति को मुआवजे के नाम पर दिए गए थे। इसके बाद से कभी मुआवजा नहीं दिया गया है। हर साल प्रशासन सर्वे कराता है लेकिन, उसका कोई लाभ नहीं होता है।

हरपाल सिंह, बीडीसी सदस्य, गांव शीशोवाली।

शासन द्वारा बाढ़ ग्रस्त जनपदों की घोषण की जाती है। उन्हीं जनपद के बाढ़ पीड़ितों को मुआयजा मिलता है। खादर क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति नहीं होती है। फिलहाल सर्वे शुरू करवाया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

विवेक यादव, एसडीएम, मंडी धनौरा।


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