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अवैध कब्जों से सिकुड़ गईं नदियां

जागरण संवाददाता, अमरोहा: जनपद में दो प्रमुख नदियां अपना वजूद तलाश रही हैं। सोत व बान नदी के नाम से पहचाने जाने वाली यह दोनों नदियां अब केवल नाममात्र की रह गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 10:37 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 10:37 PM (IST)
अवैध कब्जों से सिकुड़ गईं नदियां
अवैध कब्जों से सिकुड़ गईं नदियां

अमरोहा: जनपद में दो प्रमुख नदियां अपना वजूद तलाश रही हैं। सोत व बान नदी के नाम से पहचाने जाने वाली यह दोनों नदियां अब केवल नाममात्र की रह गई हैं। लोगों ने इन नदियों पर अवैध कब्जा कर लिया है। जोया में तो बकायदा इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। शेष पर किसानों ने कब्जा कर लिया है। अब इनका स्वरूप केवल नाले के रूप में मौजूद है। जिला प्रशासन द्वारा किए गए प्रयास भी कारगर साबित नहीं हो सके हैं।

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बता दें कि जिले में गंगा के बाद सोत, बन, गंग नहर व बगद नदी प्रमुख नदियों में शुमार हैं। गजरौला स्थित बगद नदी तो प्रदूषण की मार झेल रही है। जबकि अमरोहा में स्थित बान व सोत नदी अब केवल नाले के रूप में सिमट कर रह गई हैं। प्राचीन नदियों में शुमार सोत नदी कभी बिजनौर बैराज से शुरु होकर अमरोहा व जोया से होती हुई सम्भल जनपद में जाकर मिलती थी। परंतु अब यह नदी नाला बनकर रह गई है। इस नदी में शहर का पानी भी जाता था।क्योंकि अमरोहा से जोया तक सोत नदी पर किसानों ने कब्जा कर लिया है। जबकि जोया में लोगों ने हाईवे किनारे नदी पर कब्जा कर मकान बना लिए हैं। यही स्थिति जोया से मनौटा तक है। यानि अब सोत नदी केवल नाले में बदल कर रह गई है।

यही स्थिति जिले की बान नदी की है। मुरादाबाद की रामगंगा नगर से शुरू होकर गजरौला स्थित गंगा नदी तक फैली बान नदी भी अब लगभग खत्म हो गई है। इस नदी पर किसानों ने कब्जा कर खेत बना लिए हैं तथा वहां खेती की जा रही है। ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन ने दोनों नदियों को पुर्नजीवित करने का प्रयास नहीं किया था। चार साल पहले जिला प्रशासन द्वारा दोनों नदियों को कब्जा मुक्त करने का अभियान भी चला था। परंतु चंद महीने तक यह मामला चर्चा में रहा। उसके बाद मामला शांत हो गया। नतीजतन अभी तक दोनों नदियां अपने पुराने वजूद में नहीं लौट सकी हैं। दोनों नदियों पर अवैध कब्जा है।


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