Move to Jagran APP

जुमे से शुरू होगा रमजान का दूसरा अशरा

अमरोहा रमजान का महीना वाकई में बेशुमार बरकतों वाला है। मुकद्दस महीने के तीन अशरे (हिस्से) रोजेदार को जन्नत का हकदार बनाते हैं। पहला अशरा रहमत का है तो दूसरा मगफिरत का है। जबकि तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से आजादी देता है। पहले दस दिन रहमत के अशरे में शामिल हैं। पहला अशरा गुरुवार को खत्म हो रहा है तथा मगफिरत का दूसरा अशरा जुमे के दिन से शुरू होगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 11:17 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 11:17 PM (IST)
जुमे से शुरू होगा रमजान का दूसरा अशरा
जुमे से शुरू होगा रमजान का दूसरा अशरा

अमरोहा: रमजान का महीना वाकई में बेशुमार बरकतों वाला है। मुकद्दस महीने के तीन अशरे (हिस्से) रोजेदार को जन्नत का हकदार बनाते हैं। पहला अशरा रहमत का है तो दूसरा मगफिरत का है। जबकि तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से आजादी देता है। पहले दस दिन रहमत के अशरे में शामिल हैं। पहला अशरा गुरुवार को खत्म हो रहा है तथा मगफिरत का दूसरा अशरा जुमे के दिन से शुरू होगा।

loksabha election banner

मुसलमानों को रोजा रखने के साथ तिलावते कलामे पाक व तरावीह की नमाज भी पाबंदी के साथ मुकम्मल करनी चाहिए। रमजान का मुकद्दस महीना तीन अशरों (हिस्सों) में बंटा है। महीने के पहले दस दिन रहमत के अशरे में आते हैं तथा दूसरे दस दिन मगफिरत के अशरे में। जबकि माह के अंतिम दस दिन में जहन्नुम से निजात का अशरा आता है।

मदरसा तालीमुल कुरान के उस्ताद कारी आफताब बताते हैं कि पहला अशरा रहमत का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की बारिश करता है। यानि दस दिन तक अल्लाह की बेशुमार रहमत बंदों पर नाजिल होती हैं। वह बताते हैं कि अल्लाह अपने रोजेदार बंदों की इबादत से इतना खुश होता है कि वह कहता है कि है कोई और जो मुझ से बेशुमार रहमत हासिल कर सके। जबकि दूसरा अशरा मगफिरत का है। इस अशरे में अल्लाह मरहूमों की मगफिरत फरमाता है तथा रोजेदारों को उनके गुनाहों से आजाद करता है।

कारी आफताब बताते हैं कि मुकद्दस महीने के बीच के दस दिन में अल्लाह पाक जितने भी मरहूम हैं उनकी मगफिरत फरमाता है तथा रोजेदार बंदों के सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। यानि दूसरे अशरे में अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी जाए तो वह कबूल होती है। इसी तरह तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात का है। तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से निजात देता है। जितने भी मरहूम व हयात (जिदा) हैं अल्लाह सभी बंदों को जहन्नुम से निजात दे देता है।

उन्होंने कहा कि इस मुकद्दस महीने में मुसलमानों को रोजा रखने के साथ-साथ पांचों वक्त की नमाज व तरावीह पढ़नी चाहिए। ताकि अल्लाह की बेशुमार नेमत हासिल कर जन्नत का हकदार बना जा सके। सुन्नी--- गुरुवार अफ्तारी 7 बजकर 4 मिनट शुक्रवार सहरी 3 बजकर 49 मिनट शिया- गुरुवार अफ्तारी 7 बजकर 8 मिनट शुक्रवार सहरी 3 बजकर 49 मिनट

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.