कॅरियर चुनने में दें बच्चों को आजादी : हेमंत
अमरोहा : एग्जाम हो चुके हैं और अब दसवीं और बारहवीं के साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणामों
अमरोहा : एग्जाम हो चुके हैं और अब दसवीं और बारहवीं के साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणामों का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में अधिकांश बच्चे माता-पिता की अत्यधिक अपेक्षाओं के चलते तनावग्रस्त हो जाते हैं। कुछ तो परिणाम ठीक नहीं होने पर गलत कदम भी उठा लेते हैं लेकिन जिलाधिकारी हेमंत कुमार का मानना है कि जीवन में सबकुछ अंक ही नहीं हैं, इससे भी आगे ¨जदगी है और औसत नंबर लाने वाले छात्र-छात्राओं ने भी कॅरियर में बुलंदियों को छुआ है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वह परीक्षाओं में कम अंक आने पर उनका मनोबल न गिरने दें और ऐसे हालात में बच्चों पर दबाव नहीं बल्कि उनका हौसला बढ़ाएं।
यूपी बोर्ड, आइसीएसई व सीबीएसई के नतीजे आ चुके हैं, वहीं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजों भी आना शुरू हो गये हैं। कुछ समय बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए भी कट ऑफ का जारी होना शुरू हो जाएगा। ऐसे में अभिभावकों का बच्चों पर ज्यादा अंक लाने का दबाव हमेशा रहता है। इसी दवाब की वजह से कम अंक आने पर बच्चे या युवा कभी-कभी गलत कदम तक उठा लेते हैं, ऐसे में बाद में सिवाए पछताने के कुछ भी हासिल नहीं होता।
जिलाधिकारी हेमंत कुमार कहते हैं कि दैनिक जागरण ने देशभर के बच्चों को किसी भी तरह के दवाब से मुक्त रखने के लिए एक सकारात्मक अभियान की शुरूआत की है, वाकई हमारे बच्चे मार्क्स से ज्यादा प्यारे हैं। यही सोच देशवासियों के भीतर विकसित करनी है। कम अंक आने के बाद ¨जदगी यही पर खत्म नहीं होती। बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जिनके बोर्ड परीक्षाओं में तो औसत अंक आए हैं और बाद में उन्होंने मेहनत करके कॅरियर में बुलंदियों को छुआ है। समाज की परवाह किए बिना अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाएं व उन्हें अपनी मर्जी से शिक्षा लेने के लिए खुले आसमान में उड़ने का अवसर दें। वह फेल हो गया या फिर कम अंक लेकर आया है तो ऐसी स्थिति में उसे हिम्मत दें व उसे कामयाबी का मंत्र प्रेम से पढ़ाएं न की उस पर दबाव डालें।
जिलाधिकारी हेमंत कुमार का कहना है कि कभी-कभी अभिभावक बच्चों को कॅरियर चुनने में अपनी पसंद थोप देते हैं, जबकि बच्चे को इसमें रुचि नहीं होती। ऐसे में बच्चा अन्य बच्चों की अपेक्षा पिछड़ता चला जाता है और ऐसे में वह अभिभावक द्वारा चुने गये क्षेत्र में भी आगे नहीं बढ़ पाता। चूंकि हर अभिभावक को अपने बच्चों से खासी उम्मीदें होती हैं लेकिन जिस क्षेत्र में बच्चे की रुचि है उसी में सकारात्क सोच के साथ उसे आगे बढ़ने के समुचित अवसर प्रदान करें। बच्चों या युवाओं की रुचि के विरुद्ध कॅरियर के लिए दवाब अभिभावक न बनाएं, नहीं तो जीवनभर पछताने के सिवाए जीवन में कुछ नहीं बचता।
कहा हर क्षेत्र में असीम संभावनाएं होती है। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों व युवाओं को उनकी रुचि के अनुरुप आगे बढ़ने दें, फिर देखिये सफलताएं कैसे कदम चूमेंगी और बच्चे अपना और देश का नाम रोशन करेंगे?