भागवत सुमिरन से कष्ट निवारण : नरेंद्रानंद
मंडी धनौरा : कथावाचक नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा जिस प्रकार शरीर को क्रियाशील रखने के लिए
मंडी धनौरा : कथावाचक नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा जिस प्रकार शरीर को क्रियाशील रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार आत्मा को क्रियाशील रखने के लिए सत्संग की आवश्यता होती है। उन्होंने धुंधकारी व गोकरणी प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया।
शहर के कंचन बाजार स्थित रामजानकी मंदिर बाला जी धाम पर श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा श्रीमद्भागवत कथा के सुमिरन से कष्टों से छुटकारा मिलता है व पापों से मुक्ति मिलती है।
उन्होंने धुंधकारी व गोकरणी कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा धुंधकारी व्यसनों में पड़ा एक व्यक्ति था जो रोजाना मदिरा पान करता व कुकर्म करता। उसकी हत्या कर शव को भूमि में दबा दिया। इस कारण उसकी आत्मा प्रेतयोनी में पहुंचकर एक खंडहर में भटकने लगी। वहां गौकर्ण नामक ब्राह्माण पहुंचे जिन्होंने भागवत कथा सुनाकर प्रेत योनी में पहुंचे धुंधकारी को मोक्ष दिलाया।
उन्होंने कहा इसलिए मनुष्य को सु-संगत में रहना चाहिए व अच्छे कर्म करने चाहिए। इससे उसका कल्याण होगा व मोक्ष की प्राप्ति होगी। ्रकलियुग में कर्म को प्रधान बताते हुए कहा कि कर्म करने से फल की प्राप्ति होती। बिना लोभ लालच के व किसी के हित में किए गए कर्म से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
इस अवसर पर अर¨वद अग्रवाल, शिवकुमार, नरेन्द्र अग्रवाल, सुमित अग्रवाल, भोले कुमार, संजय गर्ग, संजीव गर्ग, बालकिशन, ललिता देवी, रेनू अग्रवाल, अनिता देवी, पूजा वर्मा, सिम्पल अग्रवाल, नीति अग्रवाल, चाहत शर्मा, पायल वर्मा आदि मौजूद थे।