रसूल से मोहब्बत यानि मुकम्मल ईमान : मुफ्ती अफरोज
जागरण संवाददाता, अमरोहा: आलिमेदीन अफरोज आलम ने कहा कि हजरत मोहम्मद (स.अ.) की मुहब्बत ऐन ईमान हैं। किसी भी दिल में मोहब्बते रसूल के बगैर अल्लाह की मुहब्बत पैदा नहीं हो सकती।
अमरोहा : आलिमेदीन अफरोज आलम ने कहा हजरत मोहम्मद की मुहब्बत ऐन ईमान हैं। किसी भी दिल में मोहब्बते रसूल के बगैर अल्लाह की मुहब्बत पैदा नहीं हो सकती। उन्होंने लोगों से रसूले पाक की सुन्नतों पर अमल करने व नेक राह पर चलने की ताकीद की।
मुस्लिम कमेटी के तत्वावधान में ईद मिलादुन्नबी की तकरीबात का पांचवां जलसा रात मुरादाबादी गेट स्थित बसरी बेगम की मस्जिद के सामने हॉल में आयोजित किया गया। इसकी शुरूआत कारी साकिब ने तिलावते कलामे पाक से की तथा बारगाहे रसूले अरबी में नात शरीफ का नजराना हाफिज शमीम अमरोहवी, जुबैर इब्ने सैफी, असलम बकाई व मौलाना साद अमरोहवी ने पेश किया। सीरते तयैबा पर बयान करते हुए मौलाना अफरोज आलम ने कहा कि नबी-ए-करीम के नक्शेकदम पर चलना हर मुसलमान का मकसदे हयात है। मुहब्बत ही इत्तिबा व इताअत पर आमदा करती है।
मौलाना ने कहा कि हजरत अब्दुल्ला बिन उमर से रिवायत है कि रसूले करीम ने फरमाया तुम में से कोई शख्स उस वक्त तक मोमीन कामिल नहीं हो सकता जब तक कि उसकी ख्वाहिशात उस चीज के ताबे न हो जिसको मैं (अल्लाह की तरफ से) लाया हूं। आखिर में मौलाना ने सुन्नतों पर ¨जदगी गुजारने की ताकीद करते हुए बच्चों को दीनी तालीम से अरास्ता करने का दर्स दिया। जलसे की अध्यक्षता कारी इरशाद हुसैन व संचालन हाजी खुर्शीद अनवर ने किया।
इस दौरान मुस्लिम कमेटी के सदर हाजी अब्दुल कयूम राईनी, कमर नकवी, मरगूब सिद्दीकी, मंसूर अहमद एडवोकेट, हबीब अहमद एडवोकेट, उवैस मुस्तफा रिजवी, इकराम हुसैन जैदी, शमीमुद्दीन, आलम सोनू, दिलशाद अहमद, यामीन खां, माजिद मलिक व आमिर लईक मौजूद रहे।