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तीन गांवों में ठहरा मध्य गंगा नहर निर्माण का काम, आंदोलन को मजबूर किसान

अमरोहा जनपद के तीन गांवों में मध्य गंगा नहर निर्माण का कार्य ठहर गया है। किसान आंदोलन पर उतर आए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 12:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 12:00 AM (IST)
तीन गांवों में ठहरा मध्य गंगा नहर निर्माण का काम, आंदोलन को मजबूर किसान
तीन गांवों में ठहरा मध्य गंगा नहर निर्माण का काम, आंदोलन को मजबूर किसान

अमरोहा: जनपद के तीन गांवों में मध्य गंगा नहर निर्माण का कार्य ठहर गया है। 11 साल पहले करीब 55 किसानों की जमीन तो प्रशासन ने नहर निर्माण के लिए अधिग्रहीत कर ली है लेकिन, उनको मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। जमीन पर किसान काबिज हैं तो प्रशासन उनसे अधिग्रहण की गई जमीन छोड़ने के लिए कह रहा है। मुआवजा 11 साल पहले के हिसाब से देना चाहता है लेकिन, किसान पड़ोसी गांवों की तरह सर्किल रेट से चार गुना मुआवजे की मांग कर रहे हैं। प्रशासन से उनको कोई राहत नहीं मिल पा रही है। नतीजतन तीनों गांवों में नहर की खोदाई नहीं हो पाई है।

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जनपद में मध्य गंगा नहर परियोजना का कार्य चल रहा है। इसके लिए 59045 हेक्टेयर जमीन किसानों से खरीदी जा रही है। अमरोहा ब्लाक के 87, जोया के 230, मंडी धनौरा के 78, गजरौला के 157 व हसनपुर ब्लाक के 370 गांवों से होकर यह नहर निकल रही है। अधिकतर गांवों के किसानों से जमीन की खरीदारी हो चुकी है। सर्किल रेट से चार गुना दामों में किसानों से जमीन खरीदी गई है लेकिन, पपसरा कूबी, मोहनपुर व रामपुर घना के किसान परेशान हैं। वर्ष 2010 में नहर निर्माण के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसके बाद परियोजना का काम बंद हो गया था। इसके चलते किसानों को मुआवजे का भुगतान नहीं हो सका था और न ही जमीन पर कब्जा कर खोदाई की गई थी। अब फिर से परियोजना का कार्य शुरू हुआ है। इससे किसान बेचैन हैं। किसान अब चार गुना मुआवजे की मांग कर रहे हैं जबकि, प्रशासन मसले में हाथ खड़ा कर पुराने मुआवजा देने पर अड़ा है। कई बार अफसरों से मिल चुके किसानों को कोई तसल्ली नहीं मिली है। जिसकी वजह से अब वे आंदोलन की डगर पर चल पड़े हैं।

पड़ोस के गांवों में किसानों से सर्किल रेट से चार गुना दामों में जमीन खरीदी जा रही है तो हम अपनी जमीन कम कीमत पर क्यों दें। समस्या बताने पर अफसर भी समाधान नहीं कर रहे हैं। दोहरा बर्ताव किसानों संग हो रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मायाराम, गांव पपसरा कूबी। हमारी छह भाइयों की नौ बीघा जमीन नहर निर्माण में जा रही है। दस साल पहले जमीन अधिग्रहण करना अधिकारी बता रहे हैं लेकिन, इस पर अभी हमारा कब्जा है। कागजों में भी हमारे नाम है। पड़ोसी गांवों की तरह हमें भी सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए।

देवेंद्र, गांव पपसरा कूबी। जब तक हमको सर्किल रेट से चार गुना जमीन के दाम नहीं मिलेंगे तब तक हम शांत नहीं बैठेंगे। न ही नहर की खोदाई का कार्य होने दिया जाएगा।

सुखवीर सिंह, पपसरा कूबी। हमारी पांच बीघा जमीन मध्य गंगा नहर की खोदाई में जा रही है। जमीन का रेट अन्य गांवों की तरह ही हमको मिलना चाहिए। सरकार ढाई लाख रुपये दे रही है, लेकिन, कीमत अब 50 लाख से अधिक है। इसलिए चार गुना रेट ही लिए जाएंगे।

अशोक कुमार, पपसरा कूबी। यह मामला काफी पुराना है। पहले जमीन अधिग्रहण कम रेट पर हुई होगी लेकिन, अब सर्किल रेट से चार गुना दाम पर खरीदी जा रही है। किसानों ने अपनी बात बताई है। स्थानीय की बजाय शासन स्तर से ही इस समस्या का समाधान होगा। इसलिए किसानों के प्रार्थना पत्र शासन को भेजे गए हैं। दिशा-निर्देश मिलने पर अगली कार्रवाई होगी।

बालकृष्ण त्रिपाठी, जिलाधिकारी।


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