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बरामद नही हुआ जुलूसे अमारी, अजाखानों से उतरे काले अलम

अमरोहा कोरोना के खतरे के बीच शहर में जुलूसे अमारी बरामद नहीं किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 11:18 PM (IST)
बरामद नही हुआ जुलूसे अमारी, अजाखानों से उतरे काले अलम

अमरोहा: कोरोना के खतरे के बीच शहर में जुलूसे अमारी बरामद नहीं किया गया। अजाखानों में हजरत इमाम हसन असकरी की शहादत का जिक्र किया गया। अजाखानों पर लगे शोक का प्रतीक काले अलम उतार दिए गए।

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काबिलेगौर हो कि मोहर्रम का आखिरी जुलूस शहर के मुहल्ला काजीजादा स्थित इमामबाड़ा चांद-सूरज से हर साल बरामद होता था, लेकिन कोरोना एडवाइजरी के चलते इस साल जुलूस निकालने की अनुमति नहीं मिली। आठ रबीउल अव्वल को 11वें इमाम हसन असकरी की शहादत का दिन है। अजाखाना चांद सूरज में सिब्ते सज्जाद और हमनवां ने मरसिया ख्वानी की और मौलाना अजहर अब्बास ने फजाईल व मसाईब बयां किए। उन्होंने कहा कि जालिमों ने इमाम हसन असकरी को जहर देकर शहीद कर दिया था।

उसके बाद अजाखाना छज्जी में मुदस्सिर अली खां व साथियों ने मरसिया पढ़ा और मौलाना शहवार हुसैन ने मजलिस को खिताब फरमाया। कहा की ये अ•ादारी जुल्म के खिलाफ आवा•ा है और मजलूमों का साथ देना ही हमारा मकसद है। अल्लाह के रसूल के दीन के पैगाम को समझना •ारूरी है। जिसके बाद मुहल्ला लकड़ा के अजाखाना सज्जादिया में अंजुमनों ने मातम व नौहा ख्वानी बरपा की। काले अलम उतारने के साथ शिया समुदाय में शोक भी खत्म हो गया।

अंजुमन तहफ्फुजे अजादारी और अंजुमने रजाकाराने हुसैनी के पदाधिकारियों ने प्रशासन का शुक्रिया अदा किया।


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