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आइपीएल ने क्रिकेटर ही नहीं स्थानीय अंपायर को भी दिए सीखने के मौके: अनिल चौधरी

अमरोहा अंतरराष्ट्रीय अंपायर अनिल चौधरी ने कहा आइपीएल ने देश ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट को दिशा दी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 11:45 PM (IST)
आइपीएल ने क्रिकेटर ही नहीं स्थानीय अंपायर को भी दिए सीखने के मौके: अनिल चौधरी
आइपीएल ने क्रिकेटर ही नहीं स्थानीय अंपायर को भी दिए सीखने के मौके: अनिल चौधरी

अमरोहा : अंतरराष्ट्रीय अंपायर अनिल चौधरी ने कहा आइपीएल ने देश ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट को नई धार दी है। फटाफट क्रिकेट के इस प्रारूप से स्थानीय क्रिकेटर ही नहीं बल्कि अंपायर को भी सीखने के मौके मिले हैं। कोरोना संक्रमण के चलते टेस्ट मैच में स्थानीय अंपायर को ही मौका देना आइसीसी की अच्छी पहल है। उन्होंने कहा देशवासियों को कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण कराना जरूरी है।

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मंगलवार को श्री चौधरी मुहल्ला कल्याणपुरा निवासी अपने मित्र पूर्व क्रिकेटर व डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रिजवान पाशा के आवास पर पहुंचे थे। यहां दैनिक जागरण से उन्होंने क्रिकेट व अंपायरिग को लेकर बातचीत की। आइसीसी द्वारा क्रिकेट के नियमों में समय-समय पर किए जाने वाले बदलाव के बारे में उन्होंने बताया जरूरत के हिसाब से बेहतर खेल व पारदर्शिता लाने के लिए यह जरूरी है। टेक्नालॉजी के दौर में पारदर्शिता लाने से खेलभावना मजबूत होती है।

कोरोना काल में खेल गतिविधियां चल रही हैं तथा टेस्ट व वन डे मैच में स्थानीय अंपायर को ही मौका दिए जाने के सवाल पर श्री चौधरी ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सारी दुनिया प्रभावित है। हालांकि अब हालात काबू में हैं लेकिन, सुरक्षा के लिहाज से आइसीसी का यह फैसला सराहनीय है। जिस देश में मैच होगा वहां के अंपायर को शामिल किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 32 टी-20, 22 एकदिवसीय व दो टेस्ट मैच में अंपायरिग कर चुके श्री चौधरी ने देशवासियों से कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने की अपील भी दैनिक जागरण के माध्यम से की। आइपीएल व अंपायरिग के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि आइपीएल ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के क्रिकेट को बदला है। भारत में स्थानीय खिलाड़ियों को मौके मिल रहे हैं तो अंपायर को भी सीखने के मौके मिलते हैं।

कहा अंपायरिग केवल मैदान में खड़े होकर फैसले करना ही नहीं है। मौजूदा दौर में तकनीकि काफी आगे है। ऐसे में एक अंपायर को मैदान में शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत रहना पड़ता है। कोशिश यही रहनी चाहिए कि थर्ड अंपायर तक फैसला न जाए।


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