Move to Jagran APP

दीयों की बढ़ी मांग, तैयारियां जोरों पर

कुम्हारों द्वारा इस बार औद्योगिक नगरी में दीयों की डिमांड बढ़ने की बात कही जा रही है। शहर में लगभग 20 कुम्हार चाक पर दीये बनाने का कार्य कर रहे हैं। उनके मुताबिक इस बार अधिक दीयों की बिक्री होने के आसार हैं। प्रत्येक कारोबारी ने दीपावली के मद्देनजर 50-50 हजार दीये बनाने का लक्ष्य तय किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 01:06 AM (IST)
दीयों की बढ़ी मांग, तैयारियां जोरों पर
दीयों की बढ़ी मांग, तैयारियां जोरों पर

अमरोहा, जेएनएन: आधुनिकता की चकाचौंध में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों का अस्तित्व यूं तो संकट में है लेकिन, इस बार दीपावली पर उसमें कुछ बेहतरी की उम्मीद है। पिछले साल की अपेक्षा अभी से मांग बढ़ने से इस बार ज्यादा दीये बिकने की आस है। यही वजह है कि कुम्हारों के यहां पर दीपावली की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।

loksabha election banner

कुम्हारों द्वारा इस बार औद्योगिक नगरी में दीयों की डिमांड बढ़ने की बात कही जा रही है। शहर में लगभग 20 कुम्हार चाक पर दीये बनाने का कार्य कर रहे हैं। उनके मुताबिक इस बार अधिक दीयों की बिक्री होने के आसार हैं। प्रत्येक कारोबारी ने दीपावली के मद्देनजर 50-50 हजार दीये बनाने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में हिसाब लगाया जाए तो दस लाख दीयों की रोशनी से औद्योगिक नगरी रोशनी में नहाएगी। बस्ती में बचपन से दीये बनाने का कार्य करने वाले चंद्रपाल सिंह बताते हैं कि पिछले साल के मुताबिक इस बार अधिक आर्डर मिले हैं। अभी तक 70 हजार दीये उन्होंने बनाए हैं। जबकि कोरोना के चलते पिछले साल 40 से 50 हजार दीयों के बीच में काम खत्म हो गया है। ऐसे ही रामौतार का कहना है कि इस बार अधिक दीये बिकने की आस है। इसलिए दीये बनाने का कार्य भी समय से पहले शुरू कर दिया गया है।

-----------

लागत बढ़ी, कमाई घटी, इसलिए बंद हुए धंधा

धंधे के कमजोर होने के सवाल पर कुम्हार चंद्रपाल सिंह ने बताया कि पहले लागत कम थी और कमाई अधिक थी। हर कोई मिट्टी के बर्तन का उपयोग करते थे लेकिन, दौर बदला तो सबकुछ खत्म हो गया। अगर, कुछ बचा हुआ था तो उसे महंगाई ने खत्म करने का काम किया। पहले मिट्टी 200 से 300 रुपये प्रति बुग्गी आती थी। अब 500 से लेकर 600 रुपये के बीच में आ रही है। ईधन पर भी महंगाई बढ़ी हैं। लागत के अनुसार भी पैसा नहीं बचने पर लोगों ने धंधा बंद कर दूसरे कामकाज शुरू कर दिए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.