धरी रह गईं स्वास्थ्य सेवाएं, चारपाई पर सीएचसी पहुंची गर्भवती
गजरौला औद्योगिक नगरी के सरकारी अस्पताल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का एक नमूना देखने को मिला।
गजरौला : औद्योगिक नगरी के सरकारी अस्पताल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का एक नमूना देखने को मिला। गांव में आशा की अनदेखी के कारण एक गर्भवती की जान तक पर बन आई। आनन-फानन में स्वजन गर्भवती को गांव से चारपाई पर लिटाकर मैजिक के माध्यम से लेकर सीएचसी पहुंचे। यहां पर भी दर्द से तड़प रही गर्भवती को व्हीलचेयर तक नहीं मिली।
शासन द्वारा गर्भवती महिला की देखरेख करने की जिम्मेदारी गांव की आशा को सौंपी गई है। इतना ही नहीं डिलीवरी के छह माह बाद तक शिशु व उसकी मां का ख्याल रखने के लिए भी कहा गया है। इसके बाद भी गांव की आशाएं अपनी कसौटी पर खरी नहीं उतरती हैं। इसकी एक बानगी शुक्रवार को देखी गई।
आशा की अनदेखी के कारण क्षेत्र के गांव आगापुर निवासी वासुदेव की गर्भवती पत्नी रानी की हालत बिगड़ गई। डिलीवरी का समय पूरा चल रहा था लेकिन, आशा ने एक बार भी घर जाकर उसकी स्थिति नहीं देखी। स्वजन आनन-फानन में गर्भवती महिला को चारपाई पर लिटाकर मैजिक के माध्यम से सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर उन्हें व्हीलचेयर न मिलने के कारण वह अस्पताल की ओटी तक चारपाई पर ही गर्भवती महिला को ले गए।
उन्हें सरकारी एंबुलेंस 102 की सेवा भी मुहैया नहीं हो पाई। जाहिर है कि शासन द्वारा सेवाओं को बेहतर करने का भले ही दावा किया जाता हो लेकिन, हकीकत में जुदा है।
गर्भवती के स्वजनों ने 102 एंबुलेंस को कॉल नहीं की थी। वह सीधे ही मैजिक के माध्यम से ही सीएचसी लेकर पहुंचे थे। अस्पताल में गर्भवती के पहुंचते ही तत्काल भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया था। अब उसकी हालत स्थिर है।
डॉ, योगेंद्र सिंह, चिकित्सा अधीक्षक, गजरौला सीएचसी।