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गोशाला में भी गोवंशीय पशु बेसहारा

प्रदेश सरकार ने बेसहारा गोवंशीय पशुओं को गोशालाएं खोलकर सहारा देने का दम भरा है। सरकार चाहती है कि गोवंशीय पशु किसानों की फसल को नुकसान न पहुंचाए। इसी उद्देश्य से सरकार ने गांवों में अस्थाई गोशालाएं संचालित करा रखी हैं। वहीं तहसील क्षेत्र के सांथलपुर व ब्रह्माबाद में दो बड़ी गोशालाएं बनाई जा रहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 11:22 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:01 AM (IST)
गोशाला में भी गोवंशीय पशु बेसहारा

हसनपुर : प्रदेश सरकार ने बेसहारा गोवंशीय पशुओं को गोशालाएं खोलकर सहारा देने का दम भरा है। सरकार चाहती है कि गोवंशीय पशु किसानों की फसल को नुकसान न पहुंचाए। इसी उद्देश्य से सरकार ने गांवों में अस्थाई गोशालाएं संचालित करा रखी हैं। वहीं तहसील क्षेत्र के सांथलपुर व ब्रह्माबाद में दो बड़ी गोशालाएं बनाई जा रहीं हैं। सरकार गोशाला में पशुओं को हरा चारा खिलाने के लिए तीस रुपये प्रतिदिन की खुराक का पैसा प्रधान व सचिव के खाते में भेज रही है। सोमवार को जागरण की टीम ने फूलपुर बीझलपुर में स्थित गोशाला का निरीक्षण कर लाइव रिपोर्ट तैयार की तो निजाम की पोल खुल गई है। उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेंद्र सिंह के रिकार्ड में गोशाला में 31 पशु हैं और उनके मुताबिक सभी पशु स्वस्थ्य हैं। प्रतिदिन चिकित्सकों की टीम जांच करती है। लेकिन सच्चाई यह है कि सोमवार को गोशाला में 34 पशु बंधे हुए मिले। इनमें एक बैल बीमारी के चलते बेहोश पड़ा हुआ जिदगी व मौत की जंग लड़ रहा था। बेसहारा पशु गोशाला में भी बेसहारा ही दिखाई दिए। मौके पर इन 34 गोवंशीय पशुओं की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। गांव के राशन डीलर महेंद्र सिंह गांव के कुछ किसानों के साथ गोशाला के नजदीक बैठे हुए बातें कर रहे थे। मंगरौली व अल्लीपुर खादर की गोशालाओं में भी गोवंशीय पशुओं का यही हाल है। चारे के नाम पर सिर्फ सूखा भूसा

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हसनपुर: गोशाला में पशुओं को खाने के लिए हरे चारे की कोई व्यवस्था नहीं थी। गोशाला के नजदीक बने एक टीन के कमरे में भूसा भरा था उसमें भी पशुओं का गोबर पड़ा हुआ था। पशुओं के आगे चारा खाने की खुल्ली में सूखा भूसा पड़ा हुआ था। भूख व प्यास से गाय एवं बछड़े काफी कमजोर पड़ गए हैं। जब भूख ज्यादा परेशान करती है तो सूखे भूसे में मुंह मार लेते हैं। रात में चौकीदार दिन में सफाई कर्मियों की ड्यूटी

हसनपुर: फूलपुर बीझलपुर की गोशाला में रात को गांव निवासी प्रेम सिंह चौकीदारी करते हैं। वह शाम को पहुंचते हैं तथा दिन निकलते ही अपने घर चले जाते हैं। दिन के लिए प्रशासन ने पूरे सप्ताह का चार्ट बनाकर प्रतिदिन दो सफाई कर्मियों की डयूटी लगा रखी है, परंतु कवरेज करते समय टीम को गोशाला में कोई नहीं मिला। एक ग्रामीण ने बताया कि सफाई कर्मी आए तो थे, लेकिन 12 बजे के करीब पशुओं के आगे भूसा डालकर चले गए थे।

तो पशुओं के बजाय भर रहे अपना पेट

हसनपुर: सरकार गोवंशीय पशुओं को संरक्षण देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। हरा चारा एवं खल चोकर खिलाने के लिए एक पशु के लिए 30 रुपये प्रतिदिन दिए जा रहे हैं। उक्त पैसे से चारा खरीदकर खिलाया जाए तो पशुओं का आसानी से पेट भरा जा सकता है। लेकिन सरकार से पशुओं का पेट भरने के लिए मिल रही धनराशि से जिम्मेदार अपना पेट भर रहे हैं और पशुओं को सूखा भूसा डालकर खानापूरी की जा रही है। उधर फूलपुर बीझलपुर की प्रधान नेमवती के बेटे मनोज कुमार का कहना है कि शनिवार को पशुओं को हरा चारा खिलाया गया था।

प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है

चिकित्सा विभाग के रिकार्ड में फूलपुर बीझलपुर गोशाला में 31 पशु हैं। चार पशु आधार कार्ड व शपथ पत्र लेकर किसानों को दिए गए हैं। प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है सभी पशु स्वस्थ हैं।

डॉ नरेंद्र सिंह उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी हसनपुर।


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