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भलाई करने से मिलती है मन को संतुष्टि

इंसान को जीवन में अच्छे कार्य करने चाहिए। दूसरों के साथ अच्छा बर्ताव और भलाई करें।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 11:03 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 11:03 PM (IST)
भलाई करने से मिलती है मन को संतुष्टि
भलाई करने से मिलती है मन को संतुष्टि

इंसान को जीवन में अच्छे कार्य करने चाहिए। दूसरों के साथ अच्छा बर्ताव और भलाई की ताकत का एहसास जीवन में ही हो जाता है। एक दिन सवेरे का समय। राजीव को दफ्तर जाने में देर हो गई थी। वह दफ्तर की तरफ दौड़ते सोच रहे थे, कई बार जब जल्दी हो तो यह बसें भी कछुआ चाल से चलती हैं। दफ्तर की इमारत देखते ही उसने राहत की सांस ली। चलो पहुंच गया, दफ्तर के सामने वाली सड़क पर रेड लाइट के कारण बसों, स्कूटर, ऑटो कारों की लंबी लाइन लगी थी तभी ग्रीन लाइट हो गई थी। वाहन तेजी से चलने लगे, सामने खड़ी बस भी। तभी पीछे से एक बुजुर्ग दौड़ते हुए आए बस में चढ़ने की कोशिश में उनका पैर फिसल गया और वह गिर पड़े। उनका सिर फुटपाथ से टकराया। राजीव उन्हें उठाने दौड़े, उन्हें उठाकर एक तरफ बिठाया। घबराहट में और कुछ नहीं सूझा, तो सामने पान की दुकान से एक ठंडा पेय खरीद कर ले आए। बोतल फौरन उनके मुंह से लगा दी। दूसरे हाथ से पीठ सहलाने लगा। चोट के कारण उनके माथे पर सूजन आ गई थी। राजीव ने पूछा आप ठीक हैं? बुजुर्ग ने हां में सिर हिलाया। तभी राजीव के साथ काम करने वाले दो लड़के विनय और रेहान वहां से गुजरे पूरी बात सुनकर उन्होंने कहा इन्हें अंदर ले चलते हैं। हो सकता हैं ऑफिस में डॉक्टर साहब आ गए हों। वह उन्हें अंदर लाए और तब तक के रिसेप्शन पर बिठा दिया। रेहान ने ऑफिस की डिस्पेंसरी में फोन किया। डॉ सिंह आ गए थे। पूरी बात सुनकर उन्होंने कहा कि वह अपने फ‌र्स्ट एंड बॉक्स के साथ वही आ रहे हैं, क्योंकि डिस्पेंसरी तक आने के लिए बुजुर्ग को सीढि़यां चढ़नी पड़ेगी। जल्दी ही डॉक्टर सिंह आ गए। उन्होंने बुजुर्ग की जांच की। कहीं और चोट तो नहीं लगी, यह देखा। फिर माथे की सूजन पर मरहम लगाया। दर्द निवारक दवा दी। डॉक्टर सिंह जब जाने लगे तो राजीव और उसके दोस्तों ने उनसे पूछा सब ठीक तो हैं डॉक्टर साहब। डॉक्टर सिंह बोले ठीक लग तो रहा है। खैरियत हैं कि कहीं ज्यादा चोट नहीं लगी। फुटपाथ टकराने से तो सिर भी फट सकता था। सिर की हड्डी भी टूट सकती थी। राजीव ने बुजुर्ग से पूछा कि वह कहां जा रहे थे। बुजुर्ग ने बताया कि वह अपने घर जा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह ठीक महसूस कर रहे हैं। अपने आप चले जाएंगे। लेकिन राजीव नहीं माने। बोले अंकल हम आपको ऐसे अकेले नहीं जाने देंगे। आपको आराम की जरूरत है। हम में से कोई आपको छोड़ आएगा। साथी विनय ने कहा मेरी कार तो खड़ी है, मैं छोड़ आता हूं। बुजुर्ग के मना करने के बावजूद भी विनय अपनी कार ले आया। जाते हुए बुजुर्ग ने बहुत आशीर्वाद दिया। कहा बेटा हमेशा खुश रहो। हम जैसे लोगों का सहारा तुम जैसे भले नौजवान ही बनते हैं। जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए आगे आते हैं। भलाई में बड़ी ताकत होती है। यही ताकत तुम्हें आगे बढ़ाएगी। विनय के जाने के बाद राजीव और रेहान को याद आया कि अरे उन्हें तो अपने विभाग में जाना है। वह फौरन लिफ्ट से अपने दफ्तर पहुंचे अभी बैठे ही थे कि अंदर से बॉस का बुलावा आ पहुंचा। बॉस ने नाराजगी से कहा इतनी देर से क्यों आए हैं। आज तुम्हारी अनुपस्थिति लगेगी। राजीव ने डरते हुए सारी बात बता दी। यह भी बताया कि विनय को तो अभी और देर हो जाएगी। क्योंकि वह बुजुर्ग को छोड़ने उनके घर हुए हैं। बात पूरी भी नहीं हुई थी कि बॉस मुस्कुराते हुए खड़े हो गए। बोले मैं बेकार में तुम पर नाराज हो रहा था। इस डिपार्टमेंट को तुम पर गर्व है। ऐसे अच्छे काम के लिए तुम तीनों को इनाम मिलना चाहिए। मैं चाहूंगा कि इस बार स्टार अवार्ड तुम तीनों को ही मिले। कल का लंच मेरी तरफ से कहते हुए उन्होंने तालियां बजाई। अपने केबिन से बाहर आकर बॉस ने दफ्तर के सभी लोगों की इस बारे में बताया। उन्होंने कहा इस तरह के होनहार लड़के सिर्फ हमारे ऑफिस में ही नहीं बल्कि हर जगह होने चाहिए। दफ्तर के बाकी लोगों ने भी कहा कि बुजुर्ग और उनके घर वालों का आशीर्वाद तो मिलेगा ही जिसे भी इस बारे में पता चलेगा, जो भी यह बात सुनेगा वह इस काम की तारीफ करेगा।

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पुनीत अग्रवाल, निदेशक, चिरंजी लाल कालेज ऑफ एजुकेशन डगरोली, हसनपुर।


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