धर्म की रक्षा को भगवान लेते हैं अवतार: विष्णु
गजरौला : जब धर्म की हानि होती है तब भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतार ले अत्याचारियों का दमन कर धम
गजरौला : जब धर्म की हानि होती है तब भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतार ले अत्याचारियों का दमन कर धर्म की रक्षा करते हैं। यह प्रवचन वृंदावन से आए कथावाचक विष्णुदत्त त्रिवेदी ने कृष्ण अवतार का प्रसंग सुनाते हुए व्यक्त किए।
मुहल्ला अतरपुरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे कथावाचक विष्णुदत्त त्रिवेदी ने कहा भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है कि पृथ्वी पर जब पापों का बोल बाला होता है। तब भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतार ले पापियों का नाश कर भक्तों की रक्षा करते हैं। जैसे त्रेता युग में भगवान राम ने माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया व रावण जैसे अत्याचारी का वध किया। द्वापर युग में देवक की पुत्री देवकी का विवाह वासुदेव के साथ हुआ था। कंस देवकी का भाई था। आकाशवाणी से जब उसे पता चला कि देवकी का ही आठवां पुत्र उसकी मौत का कारण बनेगा। इस पर उसने अपनी बहन व बहनोई को कारागार में डाल दिया। कंस लगातार देवकी के बच्चों को मारता रहा। भगवान विष्णु ने देवकी के कोख से उनके आठवें पुत्र कृष्ण के रूप में अवतार लिया। उनके जन्म लेते ही कारागार के दरवाजे अपने आप ही खुल गए। भगवान वासुदेव कृष्ण भगवान को टोकरी में रखकर नंद के यहां गोकुल पहुंचे। भगवान के जन्म पर बधाइयां गाईं गई। अर्थात भक्तों पर जब-जब भी कष्ट पड़े हैं तब तब पुकार पर भगवान किसी न किसी रूप में भक्तों की रक्षा कर उनका उद्धार करते हैं। इस दौरान कथा स्थल भगवान कृष्ण भगवान के जयकारों से गूंजता रहा।
यहां अर¨वद यादव, रामनिवास त्रिवेदी, पंडित अश्विनी दुबे, सौरभ शर्मा, धर्म ¨सह, धैर्य, शौर्य, शारदा सैनी आदि महिला पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।