शिक्षा की सीढ़ी पर फिसला गजरौला ब्लाक
इस बार शिक्षा की सीढ़ी पर चढ़ने की बजाए गजरौला ब्लाक फिसल गया। विभागीय आंकड़ों पर नजर डाली जाएं तो वह खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार ब्लाक के परिषदीय स्कूलों में बेहद कम दाखिले हुए हैं। यह आंकड़े विभागीय अधिकारी व शिक्षकों की नाकामी को भी बयां कर रहे हैं।
गजरौला : इस बार शिक्षा की सीढ़ी पर चढ़ने की बजाए गजरौला ब्लाक फिसल गया। विभागीय आंकड़ों पर नजर डाली जाएं तो वह खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार ब्लाक के परिषदीय स्कूलों में बेहद कम दाखिले हुए हैं। यह आंकड़े विभागीय अधिकारी व शिक्षकों की नाकामी को भी बयां कर रहे हैं, जबकि शिक्षक व शिक्षामित्रों की संख्या पिछले साल से अधिक है।
शिक्षा विभाग के मुताबिक गजरौला ब्लाक में 188 परिषदीय स्कूलों 58 जूनियर व 130 प्राथमिक हैं। पिछले साल इन स्कूलों में 617 शिक्षक व शिक्षामित्रों में 390 शिक्षक और 227 शिक्षामित्र थे। तब 1409 बच्चों के दाखिले हुए थे। इस बार पिछले साल के मुकाबले शिक्षक व शिक्षामित्र दोनों ज्यादा हैं। इसके बाद भी मात्र 334 ही नए दाखिले कराकर शिक्षक व अधिकारियों ने अपनी झूठी पीठ थपथपा ली। खास बात है कि शिक्षा के गिरते इस स्तर को उठाने के लिए सरकार लाखों-करोड़ों खर्च कर रही है। हर गरीब के बच्चों को शिक्षा की लौ से जोड़ने का प्रयास कर रही है। लेकिन, धरातल पर काम नहीं होने के कारण सरकार के सपने साकार नहीं हो पा रहे हैं।
..तो क्या कागजों में ही गूंजा स्कूल चलो अभियान
स्कूलों में गोष्ठियां, रैलियां समेत अन्य जागरूकता के कार्यक्रम हुए तो दाखिलें बढ़ने के बजाए घट क्यों गए? कई स्कूल तो ऐसे हैं। जहां पर दूसरे गांवों के बच्चे बुलाकर पढ़ाएं जा रहे हैं। विभागीय लापरवाही से साफ है कि शासन के आदेशों का पालन नहीं हो पा रहा है। अगर, कुछ होता है तो वह सिर्फ कागजों में। जनपद में बढ़ी दाखिलों की संख्या
गजरौला : इस बार दाखिले कराने में भले ही गजरौला ब्लाक फिसड्डी रह गया हो। लेकिन, जनपद में पिछले साल से अधिक दाखिले हुए हैं। पिछले बार जनपद के छह ब्लाकों से एक लाख 10 हजार 833 नए दाखिले हुए थे। इस बार संख्या में बढ़ोत्तरी होकर एक लाख 14 हजार से अधिक पर पहुंच गई है।
मामले की कराई जाएगी जांच
जनपद में पिछली बार के मुताबिक इस बार दाखिलों की संख्या बढ़ी है। गजरौला ब्लाक में भी पिछली बार अच्छी संख्या में दाखिले हुए थे लेकिन, इस बार इतने कम दाखिले क्यों हुए, इसकी जांच कराई जाएगी। शिक्षकों से भी बात की जाएगी।
गौतम प्रसाद, बीएसए, अमरोहा।