उर्दू की मिठास से लबरेज जुनैद तो संस्कृत की गोद में खेल रहे फैसल
अमरोहा बंदिश की दीवारों को लांघ कर आगे बढ़ने का सबसे सरल रास्ता शिक्षा है।
अमरोहा : बंदिश की दीवारों को लांघ कर आगे बढ़ने का सबसे सरल रास्ता शिक्षा है। इससे एक स्वच्छ व स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। अमरोहा निवासी सगे भाई फैसल नसीम व ख्वाजा अम्न जुनैद भी इसी राह पर चल रहे हैं। दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में एक भाई ने बीते माह उर्दू विषय में पीएचडी की तो दूसरे ने संस्कृत विषय में टॉप किया है। संस्कृत से लगन लगी तो वेदों का भी अध्ययन भी कर रहे हैं। यानि एक भाई उर्दू जुबान की मिठास से लबरेज है तो दूसरा संस्कृत की गोद में खेल रहा है।
नगर के कांठ रोड पर नसीम अहमद का परिवार रहता है। उनके बेटे फैसल नसीम ने एडब्ल्यू फैज-ए-आम स्कूल से इंटर करने के बाद जेएस डिग्री कालेज में बीए में प्रवेश लिया। उनका पसंसीदा विषय संस्कृत था। हिदी व संस्कृत में फैसल ने 84 प्रतिशत नंबरों के साथ ग्रेजुएशन किया। उसके बाद 2018 में दिल्ली जामिया यूनिवर्सिटी में संस्कृत से स्नातकोत्तर करने चले गए। उनके साथ संस्कृत विभाग में 21 छात्र-छात्राएं स्नातकोत्तर कर रहे थे। जिनमें फैसल नसीम अकेले मुस्लिम छात्र रहे। अब परिणाम आया तो फैसल ने 9.35 सीजीपीए के साथ संस्कृत विभाग में टॉप कर दिया। उन्हें प्रत्येक विषय में ए प्लस ग्रेड मिली है।
संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जयप्रकाश नारायण ने उन्हें बधाई दी। अब यह मामला यहीं तक सीमित नहीं था। जहां फैसल नसीम जामिया में संस्कृत की शिक्षा गृहण कर रहे हैं तो उनके भाई ख्वाजा अम्न जुनैद ने उर्दू विभाग में पीएचडी पूरी की है। अमरोहा की अदबी खिदमात विषय पर बीते माह ही उन्होंने अपना शोध कार्य पूरा किया है। यानि अमरोहा निवासी सगे भाई दिल्ली में गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा दे रहे हैं। दैनिक जागरण ने फैसल नसीम से बात की तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि धर्म: कोऽपि भवेत्ज्ञानार्जनं कुर्यात अर्थात कोई भी मजहब तालीम हासिल करने से नहीं रोकता। मेरी पसंद संस्कृत भाषा है तो इसे पढ़ रहा हूं। मेरे भाई को उर्दू से लगाव है तो उन्होंने उर्दू में पीएचडी की है। बोले- मैं प्रतिदिन कुरान शरीफ की तिलावत भी करता हूं और उसके बाद संस्कृत भाषा में लिखे वेदों का भी अध्ययन करता हूं।