राज्यपाल आरिफ खां के पिता ने बसवाया था गंगानगर
केरल के राज्यपाल बने आरिफ मुहम्मद खां व उनके पिता अशफाक खां का हसनपुर के लोगों से गहरा संबंध रहा है। गुलाम भारत के जमाने में वर्ष 1945 से उनका हसनपुर तहसील के गांव जयतोली के रकबे में पतित पावनी गंगा के किनारे सैकड़ों बीघे का फार्म था।
राशिद चौधरी, हसनपुर : केरल के राज्यपाल बने आरिफ मुहम्मद खां व उनके पिता अशफाक खां का हसनपुर के लोगों से गहरा संबंध रहा है। गुलाम भारत के जमाने में वर्ष 1945 से उनका हसनपुर तहसील के गांव जयतोली के रकबे में पतित पावनी गंगा के किनारे सैकड़ों बीघे का फार्म था। आरिफ मुहम्मद खां के राज्यपाल बनने से गंगानगर, जयतोली, शकरगढ़ी, गंगवार आदि गांवों के लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। मूलरूप से जनपद बुलंदशहर की स्याना तहसील के गांव बरवाला निवासी आरिफ मुहम्मद खां अपने पिता अशफाक खां के साथ जयतोली स्थित अपने फार्म पर आते-जाते रहे हैं।
गांव जयतोली निवासी जाहिद खां बताते हैं कि आरिफ मुहम्मद खां के पिता अशफाक खां से उनके पिता हाजी अब्दुल वहाब खां की खासी मित्रता थी। जाहिद खां व आरिफ मुहम्मद खां का जन्म एक ही दिन हुआ था। जाहिद बताते हैं कि 1980 के दशक में गंगानगर गांव उनके फार्म हाउस के नजदीक उन्हीं के प्रयास से बसा था। गंगानगर निवासी रतन सिंह, चेतराम सिंह तथा महावीर सिंह बताते हैं कि केरल के राज्यपाल बने आरिफ मुहम्मद खां व उनके पिता अशफाक खां गरीबों के हमदर्द थे। गंगानगर गांव को बसाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हर दुख दर्द में वह गंगानगर के लोगों के साथ खड़े रहते थे। गंगवार के पूर्व ब्लाक प्रमुख गांव मंगरौला निवासी बाबू जयपाल सिंह व रहरा निवासी सरपंच बालेश चंद्र त्यागी, गंगेश्वरी क्षेत्र में देश की आजादी के बाद उभरे नेता गंगवार निवासी बाबू मनाजिर हुसैन, हाजी शुजाअत, शकरगढ़ी निवासी मुंशी छिददन, शहवाजपुर गुर्जर निवासी बाबू जसमाल सिंह, डॉ मुख्त्यार सिंह, जयतोली निवासी सुल्तानी खां, बुरावली निवासी ठेकेदार जाफर, तरौली निवासी रामपाल सिंह, तलावड़ा निवासी इकबाल सिंह यादव, ढक्का निवासी मास्टर छुन्नन तथा मटीपुरा निवासी मास्टर होते सिंह आरिफ मुहम्मद खां के पिता अशफाक खां के खास मित्रों में से एक थे। दो साल पहले हुआ अशफाक खां का निधन
हसनपुर: केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खां के पिता अशफाक खां का निधन लगभग दो साल पहले हो चुका है। जयतोली निवासी जाहिद खां ने बताया कि उनका फार्म हाऊस एक दशक पहले बसपा शासन काल में पट्टे खारिज होने के चलते लगभग खत्म हो गया था। शकरगढ़ी निवासी मरहूम छिददन खां के बेटे डॉ. ताहिर हुसैन ने बताया कि आरिफ मुहम्मद खां लगभग 20 साल पहले अंतिम बार फार्म हाऊस पर आए थे।