ड्राइ¨वग: मोबाइल का प्रयोग यानि हादसे को बुलावा
जागरण संवाददाता, अमरोहा: सड़क सुरक्षा आज एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। सड़कों पर वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और परिणामस्वरूप सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ रही है।
अमरोहा: सड़क सुरक्षा आज एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। सड़कों पर वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और परिणाम स्वरूप सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसी दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण ड्राइ¨वग करते समय मोबाइल फोन पर बात करना भी है। पिछले कुछ समय के दौरान ईयरफोन लगाकर सड़कों पर घूमना, रेलवे ट्रैक पार करना या दोपहिया और चौपहिया वाहन और यहां तक कि साइकिल या रिक्शा चलाना फैशन बन गया है। साथ ही वाहन में तेज आवाज से संगीत बजाना भी हादसों को न्यौता देना है। एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में प्रत्येक 10 में से तीन व्यक्ति वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करते और गाने सुनते हैं। जिस कारण अक्सर लोग दुर्घटना के शिकार होकर मारे जाते हैं या उनके अंग भंग हो जाते हैं। विशेषकर युवाओं को लगता है कि वे ईयरफोन लगाकर ज्यादा फैशनपरस्त बन रहे हैं या मल्टी टा¨स्कग के कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। परंतु इससे होने वाली दुर्घटनाओं से स्पष्ट है कि कानों में मोबाइल का ईयरफोन लगाकर या मोबाइल पर बात करते हुए सड़क पर निकलना बड़ी भूल है। अत: जरूरत इस बात की है कि मोबाइल फोन का सही इस्तेमाल ही किया जाए व इसे अभिशाप की बजाय वरदान ही बना रहने दिया जाए। इसके लिए जरूरी है कि दोपहिया वाहनों पर सवारी के लिए हैल्मेट की अनिवार्यता की भांति ही वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने या हैडफोन का इस्तेमाल करने वालों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाए। नियमानुसार तो यदि कोई भी चालक ड्राइ¨वग करते समय मोबाइल पर बात करते हुए पाया जाता है तो नियमित चालक को तुरंत प्रभाव से निलंबित करते हुए नियम-8 के तहत आरोप पत्र जारी किया जाए। इसी प्रकार अनुबंध आधार पर कार्यरत चालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए कि क्यों न आदेशों की उल्लंघन करने के आरोप में उसका अनुबंध समाप्त कर दिया जाए। टीएसआई मनोज कुमार बताते हैं कि हादसों का प्रमुख कारण मोबाइल पर बात करना, ईयरफोन लगाकर वाहन चलाता व तेज आवाज से संगीत सुनना भी है। लोगों को चाहिए कि इन सारी असावधानियों से दूर रहें। यह भी यातायात के नियमों का उल्लंघन है। पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाएगी।