अमरोहा में गाय के नाम फिर निकलने लगी हर घर से पहली रोटी
भोजन से पहले गाय के लिए एक रोटी निकालने की सनातन संस्कृति एक बार फिर साकार हो उठी है। स्वच्छता सर्वेक्षण में पहले पायदान पर आने वाली गजरौला नगर पालिका की पहल पर इसकी शुरूआत हुई है। पालिका से निकली गाड़ियां लगभग एक हजार घरों से एक-एक रोटी जुटाकर उन्हें गायों तक पहुंचाती हैं।
सौरव प्रजापति, गजरौला (अमरोहा) : भोजन से पहले गाय के लिए एक रोटी निकालने की सनातन संस्कृति एक बार फिर साकार हो उठी है। स्वच्छता सर्वेक्षण में पहले पायदान पर आने वाली गजरौला नगर पालिका की पहल पर इसकी शुरूआत हुई है। पालिका से निकली गाड़ियां लगभग एक हजार घरों से एक-एक रोटी जुटाकर उन्हें गायों तक पहुंचाती हैं।
शहरवासियों को अब नगर पालिका की गाड़ियों का इंतजार सिर्फ कूड़ा देने को ही नहीं रहता, बल्कि वह गाय के लिए रोटी लेकर खड़े रहते हैं। तवे पर पहली रोटी अब गाय के लिए सिकती है। कूड़ा लेने को आने वाले पालिका कर्मी को कूड़े से पहले गाय के लिए रोटी दी जाती है। इस रोटी को सुरक्षित रखने के लिए गाड़ी में अलग से बाक्स बनाया है। पालिका की कान्हा गोशाला में डेढ़ सौ से अधिक गोवंशीय पशु हैं। इनके खाने को रोजाना शहरवासियों से पालिका एक हजार से अधिक रोटियों जुटा लेती है। कुछ लोग स्वेच्छा से आटा आदि भी देते हैं। पालिका की मुहिम से गाय को पहली रोटी की परंपररा फिर जिदा होने लगी है। औद्योगिक नगरी के 25 वार्डों में हर घर से गाय के लिए रोटी निकालने के लिए पालिका द्वारा जागरूक भी किया जा रहा है। नगर पालिका के ईओ विजेंद्र सिंह पाल ने बताया कि रोजाना शहर से एक हजार से अधिक रोटियां जुटाकर गायों को खिलाई जाती हैं। नगर पालिका अध्यक्ष अंशु नागपाल ने बताया कि गो संरक्षण के प्रति पालिका द्वारा रोटियां जुटाने के लिए मुहिम शुरू की गई है। इससे लोग अपनी संनातन संस्कृति से तो जुड़ ही रहे हैं साथ में गोसेवा भी हो रही है। रोटी खिलाने से होता है पुण्य लाभ
वासुदेव तीर्थ के आचार्य पंडित विद्यानन्द झा बताते हैं कि गाय को रोटी खिलाने से सुख-समृद्धि तो आती ही है साथ में पुण्यलाभ भी मिलता है। मान्यता है कि रोटी में घी व गुड़ लगाकर गाय को खिलाने से लाभ होता है। रोज पहली रोटी गाय को खिलाने वाले परिवार संकटमुक्त रहते हैं।