गमे हुसैन में अजादारों ने मातम कर आंसू बहाए
अमरोहा आठ मोहर्रम को अमरोहा व नौगावां सादात के अजाखानों में मजलिसों का दौर चला।
अमरोहा : आठ मोहर्रम को अमरोहा व नौगावां सादात के अजाखानों में मजलिसों का दौर चला। इनमें कर्बला के शहीदों का जिक्र किया गया। किस तरह से उन पर जुल्म किया तथा उन्हें पानी तक नहीं दिया गया। कर्बला का बयान सुनकर अजादारों की आंखों से आंसू बहने लगे।
अंजुमन तहफ्फुजे अजादारी के तत्वावधान और अंजुमन रजाकाराने हुसैनी के संचालन में नगर के मुहल्ला काजीजादा स्थित अजाखाना चांद सूरज से आठ मोहर्रम का मातमी जुलूस बरामद होता था। इस बार कोविड-19 की गाइड लाइन के मुताबिक जुलूस नहीं निकाला गया। अजाखाना में बुधवार सुबह मर्सिया 'जब चले यसरिब से सिब्ते मुस्तफा सुए ईराक, थी दरों दीवार से पैदा सदाए अलफराद' पढ़ा गया। इस पर अजादारों ने मातम किया। उसके बाद मजलिस को खिताब करते हुए अंजुम नकवी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन के काफिले पर कर्बला में सात मोहर्रम से पानी बंद कर दिया गया था। छोटे-छोटे बच्चे भूखे, प्यासे थे, लेकिन उन्होंने यजीद की बैअत कबूल नही की। उसकी गलत बात को नही माना। अपनी शहादत देकर इस्लाम को जिदा कर दिया।
उन्होंने कहा हजरत इमाम हुसैन की जिदगी से हमे सीख मिलती है कि बाप, बेटे, भाई, बहन के रिश्ते कैसे होते हैं और उनको कैसे निभाया जाता है। कर्बला का बयान सुनकर अजादार जारो-कतार रोए। यहां अंजुमन के कार्यवाहक अध्यक्ष हसन शुजा, जिया एजाज, डॉ असीम, सईद परवेज, जर्रार हैदर, शहनाज हैदर, गुफरान मेंहदी, अमजद कमाल, काजिम अब्बास, गुलाम सज्जाद, खुर्शीद हैदर जैदी, डॉ चंदन नकवी, अख्तर अब्बास, हुसैन हैदर, शाने मेहंदी, मोहम्मद तकी, नजीर हैदर, नवेद असगर, हैदर जिया, मोहम्मद सलीम, कमाल हैदर मौजूद रहे। वहीं नौगावां सादात में भी आठ मोहर्रम को मजलिस आयोजित की गई।