27 करोड डूब गए, अब 90 लाख से बचाएंगे साख
जेएनएन गजरौला ब्रजघाट गंगा का पुराना पुल सीधे-सीधे नेशनल हाईवे प्राधिकरण के लिए सवालिया निशान बन गया है। दिल्ली-लखनऊ हाईवे की सीमा वाले इस पुराने की मरम्मत पर सरकार के 27.88 करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए गए। यह पुल मुसाफिरों का छह माह भी साथ नहीं दे सका। इसकी सड़क दो-तीन माह में उखड़ जाने के बाद अब इसे फिर से नए सिरे से बनाने की कवायद शुरु की गई।
जेएनएन, गजरौला : ब्रजघाट गंगा का पुराना पुल सीधे-सीधे नेशनल हाईवे प्राधिकरण के लिए सवालिया निशान बन गया है। दिल्ली-लखनऊ हाईवे की सीमा वाले इस पुराने की मरम्मत पर सरकार के 27.88 करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए गए। यह पुल मुसाफिरों का छह माह भी साथ नहीं दे सका। इसकी सड़क दो-तीन माह में उखड़ जाने के बाद अब इसे फिर से नए सिरे से बनाने की कवायद शुरु की गई। इसका पूरा खाका तैयार कर काम भी शुरु करा दिया गया। बस फर्क इतना है कि पहले 27.88 करोड़ खर्च किए गए थे। अबकी बार 90 लाख खर्च करके साख बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह वही पुराना 1960 का पुल है। जिसका उद्घाटन पंडित जवाहर लाल नेहरू के द्वारा किया गया था। पुरानी तकनीक के इस पुल ने यूं तो लंबा साथ दिया, लेकिन नेशनल हाईवे फोरलेन में तब्दील होने के बाद इसे जर्जर घोषित कर मरम्मत योग्य बताकर ट्रैफिक आवागमन के लिए बंद करा दिया गया था। उसके बाद वर्ष 2018-19 में पुराने पुल की मरम्मत पर 27.88 करोड़ का बजट खर्च किया। ग्रोबर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस भारी-भरकम बजट से पिलर, फुटपाथ व सड़क इत्यादि की मरम्मत कर पुल चालू करा दिया, लेकिन पुल की सड़क चंद रोज में ही उखड़ना आरंभ हो गई। दो-तीन माह में गहरे गड्ढे होने पर फिर बंद सड़क अभी दो साल बाद भी चालू नहीं हुई है। अब इसे फिर से बनाने की कवायद करते हुए आइआरबी कार्यदायी संस्था ने काम शुरू कराया है। हापुड-मुरादाबाद के बीच सिक्सलेन का कार्य करने वाली इस कंपनी ने पुराने पुल की सड़क से मशीनों के द्वारा पुराना मटेरियल हटा दिया है। 90 लाख रुपये के बजट से पुल की सड़क इस तरह बनाने की तैयारी चल रही है ताकि पिछली सड़क के कारण लगा दाग धुल जाए और एनएचआइए की साख फिर बन जाए।
ब्रजघाट गंगा के पुराने पुल की सड़क बनवाई जा रही है। यह कार्य मुरादाबाद-हापुड़ के बीच सिक्सलेन का कार्य करने वाली कार्यदायी संस्था से ही कराया जा रहा है। इस पर अनुमानित 90 लाख का खर्च आने की उम्मीद है। कार्य मौके पर आरंभ करा दिया गया।
मोहम्मद खालिद, एमडी, एनएचआइ मुरादाबाद जुलाई में ही सड़क तैयार करने पर जोर
गजरौला : जुलाई के अंतिम सप्ताह से सावन का महीना आरंभ होने जा रहा है। इस माह में कांवड़ यात्रा भी निकलती है। मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, मिलक, बिलासपुर इत्यादि क्षेत्रों के शिवभक्त ब्रजघाट गंगा से कांवड लेकर लौटते हैं और अपने क्षेत्रों प्रमुख शिवालयों में जल चढ़ाते हैं। हालांकि वर्ष 2020 में कोविड के चलते कांवड यात्रा स्थगित रखी गई थी। इस बार भी कोरोना संक्रमण का प्रभाव खासा रहा है। तीसरी लहर के भी कयास लगाए जा रहे हैं। इस कारण अभी कोई स्पष्ट आदेश कांवड यात्रा को लेकर नहीं है लेकिन संबंधित विभाग अपनी तैयारी पूरी रखना चाहते हैं । इसी को देखते हुए दो साल से बंद पड़े पुल की सड़क का कार्य फिर से चालू कराया गया है। ब्रजघाट गंगा के पुराने पुल की स्थिति पर एक नजर
गजरौला : साल 1960 में बना यह पुल 11 पिलर पर टिका है। इसकी लंबाई तकरीबन साढ़े सात सौ मीटर और चौड़ाई सात मीटर से कुछ अधिक है। इसमें 13 ज्वाइंट हैं। गंगा साइड में सुरक्षा की ²ष्टि से लगी इसकी जालियां टूटने, पैदल चलने वालों के लिए बने फुटपाथ के स्लैब निकलने, सड़क जर्जर होने और कुछ पिलरों में तकनीकी दिक्कत आने पर शुरुआत में इस पर तकरीबन एक दशक पूर्व वाहनों का आवागमन बंद किया था। 2018-19 में मरम्मत के कुछ माह बाद ही इसे यातायात के लिए फिर बंद कर दिया था, जो अभी तक बंद है। इसकी सड़क का निर्माण फिर से कराने को काम आरंभ किया है।