पानी, पानी चिल्लाते रहे पर नहीं मिला पानी
बाजारशुकुल वैसे तो क्षेत्र में तमाम ऐसे चुनावी मुद्दे ज्वलंत हैं फि र भी क्षेत्र की पेयजल समस्या एक
बाजारशुकुल : वैसे तो क्षेत्र में तमाम ऐसे चुनावी मुद्दे ज्वलंत हैं फि र भी क्षेत्र की पेयजल समस्या एक बड़ा मुद्दा है। अमेठी ने विकास व समस्याओं के तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं। लोगों को न जाने कितनी समस्याओं से रूबरू होना पड़ा किन्तु लोग जरा भी नहीं हिचकिचाए। 1984 में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने सासद राजीव गाधी ने क्षेत्र की पेयजल समस्या को देखते हुए अमेठी के बाजारशुकु ल में पानी की टंकी स्थापित कराने के लिए 1987 में भूमि अधिग्रहण कर बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया था। 1988 में 500 किलोलीटर पानी की क्षमता वाली टंकी का 1989 में संचालन शुरू हुआ। थोड़े दिन तो इससे जलापूर्ति हुई और लोगों को टोटी का पानी मिला किन्तु 1991 में राजीव गाधी की मृत्यु के बाद जलापूर्ति पर ऐसा ग्रहण लगा जो आज तक इसे ग्रसित किये हुए है। जलापूर्ति बाधित होने के बाद न जाने कितनी शिकायतें हुई। कितने धरना प्रदर्शन हुए किन्तु लोगों को टोटी का पानी नसीब नहीं हुआ। ग्रामीणों की आवाज पर 2016 में मवैया ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि जगदीश पाल ने जलापूर्ति को मुद्दा बनाकर धरना प्रदर्शन किया। इससे सकते में आये विभाग ने प्रयास कर जलापूर्ति तो शुरू करायी, किन्तु वह चंद दिन ही चली।
-इन गावों में होनी थी जलापूर्ति
क्षेत्र के मवैया रहमतगढ़, सेवरा, सिधौली, एक्काताजपुर, नीमपुर, दारानगर, धनेशा राजपूत, हुसेनपुर व इंदरिया समेत नौ ग्राम पंचायतों के मजरों में पाइप लाइन बिछाकर जलापूर्ति की जानी थी।
-अपना वजूद खो रहे हैं स्टैंड पोस्ट
गावों सहित कस्बा में आमजनों को पानी मुहैया कराने के उद्देश्य से जल निगम ने दो दर्जन स्टैंड पोस्ट बनवाये थे जो आज अपना वजूद खो चुके हैं।
-क्या है जल अनापूर्ति का कारण
विभागीय कर्मचारियों की मानें तो सड़कों का चौड़ीकरण व टेलीफ ोन कंपनियों द्वारा डाली गयी भूमिगत केबिल जलापूर्ति में सबसे बड़ी बाधा बनी है। वर्तमान में समरसिबल का मोटर ठीक होते हुए भी पानी नहीं निकलता है।
-पाइप लाइन बदलने से बनेगा काम
1988 में डाली गयी पाइप लाइन के डैमेज होने से बंद पड़ी जलापूर्ति दोबारा पाइप लाइन बिछाने से ही संचालित हो सकती है। इस काम में विभाग को करीब 50 लाख रुपये की दरकार है।