बदहाल पड़ी टंकी, साफ पानी को तरस रहे ग्रामीण
1985 में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए लाखों रुपये की लागत से पानी की टंकी निर्मित करवाई गई थी। लेकिन पिछले दो दशक से विभाग की अनदेखी से निष्प्रयोज्य पड़ी हुई है।
अमेठी : गड़ेहरी स्थित जल निगम विभाग की पानी टंकी विभागीय उपेक्षाओं के चलते बदहाल हो गई है। बदहाली का दंश झेल रहा जलनिगम परिसर बेसहारा पशुओं का आशियाना बन गया है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी टंकी से पानी सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है।
1985 में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए लाखों रुपये की लागत से पानी की टंकी निर्मित करवाई गई थी। लेकिन, पिछले दो दशक से विभाग की अनदेखी से निष्प्रयोज्य पड़ी हुई है। कई सालों से मोटरपंप और टंकी के बीच पाइप कनेक्शन नहीं है। जिससे एक दर्जन ग्राम पंचायत के सैकड़ों गांवों के हजारों परिवार के लोग हैंडपंप से प्यास बुझाने को विवश हैं। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद विभाग ने अब तक इसे ठीक नहीं करवाया है। ग्रामीणों ने टंकी और पंप के बीच कनेक्शन कराकर पेयजल आपूर्ति चालू कराने की मांग की है।
ग्रामीणों की भी सुनिए : ग्रामीण सहदेव दीक्षित ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि कभी जल निगम परिसर गुलाबों के फूलों से गुलजार हुआ करती थी। लेकिन, पिछले दो दशक से विभागीय उपेक्षाओं का शिकार है। फतेह बहादुर सिंह ने बताया जल निगम निर्माण में मैंने पाइप लाइन बिछाने में 10 रुपये की मजदूरी में काम किया था। आज ऐसी हालत देखकर मन दुखी होता है। रमेश सिंह ने बताया की कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं हुई। सुजीत दीक्षित ने बताया कि जल निगम की टंकी को सही कराने की आज तक किसी ने जरुरत नहीं समझी।
बोले जिम्मेदार : अधिशाषी अभियंता गिरजेश श्रीवास्तव ने बताया कि जिस जल निगम की टंकी से एक से अधिक ग्राम पंचायतों के लिए सप्लाई दी जा रही है। उनके बजट का प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलते ही सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।