बिना रोक टोक चल रहा है हरे पेड़ों पर आरा
पुलिस व वन विभाग की शह पर हो रहा कटान। जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।
अमेठी : पुलिस व वन विभाग से साठगांठ कर लकड़ी ठेकेदार रात दिन हरे पेड़ काट रहे हैं। वहीं, जिम्मेदार जानकर भी अनजान बने हुए हैं। सरकार पर्यावरण को लेकर जितना संजीदा है। उतना ही लकड़ी ठेकेदार हरियाली को नष्ट करने पर आमादा हैं।
थाना क्षेत्र में इन दिनों बगैर परमिट हरे भरे पेड़ों पर आरा चल रहा है। पिछले चार महीने से वन विभाग पर्यावरण संतुलन के लिए पौध रोपण करा रहा है, जिस पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया गया है। बावजूद इसके आम, महुआ, नीम, शीशम व सागौन जैसे पेड़ों को ठेकेदार काटकर उठा ले जाते हैं। वहीं, क्षेत्र में हो रही हरे वृक्षों की कटान के लिए वन विभाग को पुलिस जिम्मेदार ठहराती है। वहीं, वन विभाग हमेशा स्टाफ व संसाधनों का रोना रोता है।
जंगलों से काटकर बेची जाती है बहुमूल्य लकड़ियां :
जिले का सबसे अधिक क्षेत्रफल का जंगल है। इनमें शीशम, सागौन जैसे कीमती लकड़ियों के पेड़ मौजूद हैं। लकड़ी काटने वाले वन मुंशी व गार्डों से तालमेल बनाकर जंगलों से शीशम व सागौन के पेड़ काट कर आसपास खुली फर्नीचर की दुकानों पर बेच देते हैं। कई बार क्षेत्रीय लोगों ने जंगलों से काटकर ले जाते लकड़ी पकड़ी और उच्च अधिकारियों को बताया, किन्तु आज तक वन कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जो कि आज भी जंगलों से लकड़ी बेच रहे हैं।
इन क्षेत्रों में होती है लकड़ी की अवैध कटान :
थाना क्षेत्र के किसनी, पाली, उरेरमऊ, टेवसी, महोना, जैनबगंज, व्यौरेमऊ, तेतारपुर, रस्तमाऊ, सत्थिन, मकदूमपुर, ऊँचगांव, माँझगांव व खेममऊ आदि गांवों में अवैध ढंग से प्रतिबंधित पेड़ काटे जाते हैं।
वन दारोगा राम दुलारे मिश्र ने बताया कि स्टाफ व संसाधनों की कमी है। इसके बावजूद वह अवैध कटान रोकने के प्रति प्रयासरत रहते हैं। जंगलों से लकड़ी कटान की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।