सपा-बसपा के कार्यकर्ताओं में खिंची तलवारें, यह जीमनी हकीकत : राजा भैया
राजा भैया को प्रदेश के लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी को बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से लाभ मिलने में संदेह है।
अमेठी (जेएनएन)। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को प्रदेश के लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी को बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से लाभ मिलने में संदेह है। अमेठी ने कल एक कार्यक्रम में पधारे राजा भैया ने साफ कहा कि यह जमीनी हकीकत है कि गोरखपुर तथा फूलपुर में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता जरा भी एकजुट नहीं हैं।
पूर्व मंत्री और कुंडा से विधायक राजा भैया अमेठी के गौरीगंज में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान वहां मौजूद मीडिया से बात करते हुए पहली बार राजा भैया ने सपा-बसपा गठबंधन पर कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के कारण ही बसपा के संस्थापक कांशीराम पहली बार इटावा से लोकसभा पहुंचे थे। जिसके बाद भी दोनों पार्टी साथ में थी। 1993 में गठबंधन टूटा गया था। इसके बाद भी उनकी पार्टी ने नेताजी को धोखा दिया तो ऐसे में उन पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए। राजा भैया ने साफ कहा कि बसपा मुखिया मायावती बिना किसी स्वार्थ के किसी को समर्थन दे, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कितनी ईमानदारी से लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन दिया यह तो 14 मार्च को सामने आ जाएगा।
राजा भैया ने कहा कि अभी तो यह कहना गलत होगा कि कौन सी पार्टी के प्रत्याशी जीतेंगे लेकिन आज शाम पांच बजे के बाद से माहौल बन जाएगा। 14 को पता चल जाएगा कि इस गठबंधन को जनता ने कितना ज्यादा स्वीकार है। राजा भैया ने आगे कहा कि सपा और बसपा के कार्यकर्ता खुद एक-दूसरे पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। यह कोई हमारी व्यक्तिगत राय नहीं, जमीनी हकीकत है।
बसपा सरकार रहते राजा भैया पर पोटा लगा कर उन्हें जेल भेज दिया गया था। जिसके बाद उन्हें बाहर निकालने में मुलायम सिंह यादव ने बहुत मदद की थी। इसके बाद से राजा भैया मुलायम सिंह यादव को अपना राजनैतिक गुरु मानने लगे थे।
उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था को भी सही करार दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के इच्छामृत्यु पर फैसले का स्वागत किया। इससे पूर्व उन्होंने बाबूगंज सगरा आश्रम पर बने प्रवेश द्वार का शुभारंभ किया।