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गलन भरी रात, पन्नी की छांव में बीत रहा जीवन

मवई गांव में 50 सालों से बदहाली का जीवन जी रहे दर्जनों मुसहर परिवार। अपने ही घर में तीन पीढि़यों से रहने के बावजूद भी नहीं मिला अभी तक किसी योजना का लाभ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 11:55 PM (IST)
गलन भरी रात, पन्नी की छांव में बीत रहा जीवन

वहीद अब्बास नकवी, जायस, (अमेठी)

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बहादुरपुर विकास क्षेत्र के ग्राम मवई में जायस रेलवे स्टेशन के पीछे तंबूओं में रह रहे दर्जनों वनराजा (मुसहर) परिवार पिछले 50 सालों से बदहाली का जीवन जीने को विवश हैं। अब तक इन परिवारों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। सर्द रात में पन्नी की छांव में इनका जीवन आज भी किसी सजा से कम नहीं है। इन्हें यह सजा सिर्फ इस बात की वजह से मिल रही है कि इनके पास कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है।

65 साल के बचानू बताते हैं कि वह यहां बचपन में ही आ कर बस गए। शिक्षित नहीं होने के कारण वह कोई गणना सही नहीं बता पाते हैं। लेकिन, कहते हैं कि उनके कुनबे के लगभग चालीस लोगों को मरने के बाद इसी मिट्टी में यहीं दफन किया गया है। पचास वर्षीय महिला मुन्ना बताती हैं कि उनके सास, ससुर सब यहीं खत्म हुए हैं। लगभग 25 लोगों के कुनबे में किसी के पास राशन कार्ड, वोटर आइडी, कार्ड या आधार कार्ड नहीं है। तीन पीढि़यों से यहां रहने के बावजूद सरकार द्वारा निरंतर चलाए जाने वाले कार्यक्रमों में यह हिस्सा नहीं बन पाए हैं। प्रत्येक 10 वर्ष में जनगणना, प्रत्येक चुनाव के पहले मतदाता पुनरीक्षण तथा सर्वशिक्षा अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष चलाए जाने वाले स्कूल चलो अभियान और महिला एवं बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित सरकारी योजनाओं से वंचित हैं।

किसी सरकारी या गैर सरकारी संगठन व समाज सेवकों द्वारा कड़ाके की ठंड में भी कभी कंबल नहीं मिला। जाड़ा, गर्मी, बरसात और प्रतिकूल मौसम में यह खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। बचानू के छोटे भाई सचान,ू जिनकी उम्र 50 साल है बताते हैं कि दोना-पत्तल बनाकर और कबाड़ बीनकर अपना व परिवार का गुजारा कर रहे हैं। अलमापुर गांव के निवासी श्याम पासी बताते हैं कि वर्ष 2015 पंचायती चुनाव के पहले इनका नाम मवई आलमपुर की मतदाता सूची में दर्ज करा दिया था। लेकिन, बाद में प्रभावशाली लोगों के दबाव में अधिकारियों ने इनका नाम मतदाता सूची से निकलवा दिया। इसी कुनबे के पुन्नवासी बताते है कि कुछ साल पहले एक बोरा व्यापारी को डकैतों ने मार कर घायल कर दिया था तब पुलिस हमें थाने उठा ले गई थी सूचना मिलने पर अलमापुर निवासी लकड़ी के व्यापारी राम सिंह ने थाने जाकर किसी तरह हमें छुड़ाया था। लेकिन, जब भी यहां पुलिस अधिकारी बदलते हैं और क्षेत्र में आपराधिक घटना होती है। पुलिस घुमंतू जानकर पहले हमें ही पकड़ती और प्रताड़ित करती है।

मुख्य धारा में लाने के लिए शुरू हुआ प्रयास :

समाजसेवी संजय कुमार ने बताया कि यहां बसे मुसहर परिवारों को समाज से जोड़ने के लिए अप्रैल 2020 में खंड विकास अधिकारी बहादुरपुर को पत्र देकर ब्लाक की योजनाओं का लाभ देने को कहा गया। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी क्रम में 30 सितंबर 2020 को जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देने की मांग की गई।

डीएम ने एसडीएम से मांगी रिपोर्ट :

जिलाधिकारी ने मांगपत्र पर एडीएम व एसडीएम तिलोई को जांच कर आख्या देने को कहा। लेकिन, नतीजा वही ढाक के तीन पात ही निकला। एडीएम ने एक बार फिर जांच एसडीएम तिलोई को सौंपी है।

कई बार किया गया प्रयास, नहीं बनी बात :

मवई आलमपुर की ग्राम प्रधान वंदना का कहना है कि इन परिवारों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए कई बार ब्लाक में गुहार लगाई गई। लेकिन, वहां कोई सुनवाई नहीं हुई।

योजनाओं का मिले लाभ, होगा प्रयास :

बहादुरपुर के खंड विकास अधिकारी राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि यहां रह रहे मुसहर परिवारों को ब्लाक की योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। हम जांच कराकर हर संभव मदद करेंगे।


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