केंद्र ही बंद तो कैसे लड़ेंगे कुपोषण से जंग
क्षेत्र में संचालित अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र अपने जिम्मेदारियों से भटक गए हैं। कई सेंटर तो कभी खुलते ही नहीं हैं और जो खुलते भी हैं उन पर पोषाहार भी वितरित नहीं होता। केंद्रों को मिलने वाला पोषाहार पशुओं का निवाला बन रहा है। शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार ध्यान देने के बजाय मौन साधे हुए हैं। इसके चलते शासन की अति महत्वाकांक्षी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी हैं और कुपोषण से जंग लड़ने का सपना केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है।
अमेठी : क्षेत्र में संचालित अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र अपने जिम्मेदारियों से भटक गए हैं। कई सेंटर तो कभी खुलते ही नहीं हैं और जो खुलते भी हैं उन पर पोषाहार भी वितरित नहीं होता। केंद्रों को मिलने वाला पोषाहार पशुओं का निवाला बन रहा है। शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार ध्यान देने के बजाय मौन साधे हुए हैं। इसके चलते शासन की अति महत्वाकांक्षी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी हैं और कुपोषण से जंग लड़ने का सपना केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है।
विकासखंड जगदीशपुर में लगभग 216 आगनबाड़ी केंद्र संचालित है। पोषाहार से लेकर गर्भवती महिलाओं, धात्री व किशोरियों के देखभाल के लिए सरकार लाखों रुपये पानी की तरह बहा रही है। लेकिन जिम्मेदारियों से मुह मोड़े विभाग के ये केंद्र महज कागजी कोरम पूरा कर कुपोषण को दूर कर रहे हैं। इन केंद्रों पर न तो टीकाकरण होता है और न पोषाहार वितरित होता है। ग्रामीणों की माने तो बच्चों, गर्भवती महिलाओं व किशोरियों को मिलने वाला पोषाहार बाजार में बेच दिया जाता है। यही नहीं नाम न छापने की शर्त पर एक कार्यकर्ता ने यहां तक बताया कि उच्चाधिकारियों तक कमीशन भी देना पड़ता है। बानगी के तौर पर बनभरिया, देवकली, वारिशगंज ,जाफ रगंज व सिढौली सहित दर्जनों केंद्र ऐसे हैं। जहां पर बच्चों की संख्या न के बराबर रहती है। लेकिन रजिस्टर पर इनकी संख्या पूरी दिखाई जाती है।
-केंद्रों का कराया जाएगा भौतिक सत्यापन
एसडीएम मुसाफि रखाना महात्मा सिंह ने बताया कि अभियान चला कर भौतिक सत्यापन कराय जाएगा। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।