तेज हवा चली नहीं की बिजली गुल
- बड़ी समस्या बड़ा मुद्दा - यहां गर्मी आते ही शुरू हो जाती फाल्ट के नाम पर बिजली कटौती - बिजली के अभाव में पीने के पानी के लिए भी बहाना पड़ता है पसीना
दिलीप सिंह, अमेठी : जिले में भले ही 18 से 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया जाता हो पर यहां की अधिकांश आबादी की उमस भरी रात अंधेरे में ही कट रही हैं। इतना ही नहीं हल्के फाल्ट को भी ठीक करने में विभाग को घंटों नहीं, कभी-कभी तो पूरा दिन लग जाता है। विभाग में सबकुछ मनमानी पूर्ण है। गांव से शहर तक बिजली की समस्या एक सी ही बनी हुई है। नगर व कस्बों में बिजली के अभाव में लोगों को पीने के पानी के लिए भी पसीना बहाना पड़ता है। इतना ही नहीं तेज हवा चली नहीं की जिले के तमाम गांवों व कस्बों की बत्ती गुल हो जाती है। कमीशन के खेल में पोल हवा को झोका नहीं सह पाते और तार भी जब-तब टूटते व गिरते रहते हैं।
- बिजली पहुंचाने के लिए बने हैं 35 विद्युत घर
जिले में गांव व कस्बों में बिजली सही तरीके से पहुंचाने के लिए 33/11 केवी के 35 बिजली घर बने हैं। इनमें एक एक सैकड़ा से अधिक फीडर बनाए गए हैं। इतना सब होने के बाद भी फाल्ट के नाम पर बिजली गुल रहती है। एक नया पावर हाऊस निर्माणाधीन है।
- 132 केवी के तीन 220 केवी का एक पावर हाऊस
जिले में 132 केवी के तीन पावर हाऊस गौरीगंज, जगदीशपुर व तिलोई के सिंहपुर ब्लाक में बने हुए हैं। 220 केवी का भी एक पावर गूगंवाछ अमेठी में है। इसके बाद भी बिजली पूरे जिले में अपना प्रकाश नहीं फैला पा रही है। इसके पीछे कारण कुछ भी हों पर गर्मी में आवाम बिजली के अभाव में बिलबिला रहे हैं।
- जगदीशपुर, गौरीगंज व अमेठी को 24 घंटे बिजली
वैसे तो औद्योगिक क्षेत्र जगदीशपुर के साथ ही जिला मुख्यालय गौरीगंज व अमेठी शहर को 24 घंटे बिजली देने का आदेश पर ऐसा कभी नहीं होता। मुसाफिरखाना व तिलोई को 22-22 घंटा बिजली देने का आदेश है तो ग्रामीण क्षेत्रों को कागजों में 18 घंटे बिजली दी जा रही है।
- इस पर भी डालें एक नजर
कुल उपभोक्ता : दो लाख 61 हजार।
महीने भर में कुल खपत : 50 मिलियन मेगावाट।
कुल कर्मचारी : 153
संविदा कर्मी : 624
- भादर में नहीं बदले गए पुराने तार
यहां पुराने तारों के सहारे ही बिजली की आपूर्ति हो रही है। दशकों पहले जो तार लगाए गए थे। उन्हें जोड़कर अब की जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है।
- जायस में पीने के पानी के त्राहि-त्राहि
जिले की सबसे पुरानी नगरीय बस्ती जायस में पानी खारा होने के चलते बिजली गुल होने के साथ पीने के पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मच जाती है। यहां बिजली कट जाने के बाद पानी की आपूर्ति भी बंद हो जाती है।
- जगदीशपुर के गांवों में सिर्फ दस घंटे बिजली
औद्योगिक क्षेत्र के आस-पास के गांवों को भी दस घंटे अधिकतम बिजली मिल पाती है। जबिक दावा 18 घंटे का है। कुछ ऐसा ही हाल कमरौली का भी है।
- तिलोई में गर्मी बढ़ने के साथ अघोषित बिजली कटौती
विद्युत उपकेंद्र मोहनगंज, सेमरौता और इन्हौना से जुड़े गांवों में रोस्टिग, ब्रेक डाउन, फाल्ट, लो वोल्टेज व कर्मचारियों की लापरवाही से बिजली की किल्लत बढ़ गयी है। ग्रामीणों की माने तो हर रोज दोपहर में और रात में बिजली की कटौती की जा रही है।उमस भरी गर्मी में महज 6 से 7 घंटे ही बिजली मिल रही है। - इनकी भी सुनिए
“तेज हवा के चलते बिजली के पोल टूट जाते हैं। जिससे आपूर्ति बाधित हो जाती है। जल्द बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए टीम को लगाया जाता है। अधिक संख्या में पोल टूटने के चलते कई बार आपूर्ति बहाल करने में समय लग जाता है।''
आरपी प्रसाद, अधीक्षण अभियंता-अमेठी