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नंदमहर धाम, जहां नंद बाबा ने किया था विश्राम

शाहगढ़ (अमेठी) : हिलोरे मारती आस्था और पूरा गंवई भारतीय रंग। ढेर सारी दुकानें। जहां तक नजर जाए बस स

By Edited By: Published: Mon, 14 Nov 2016 11:35 PM (IST)Updated: Mon, 14 Nov 2016 11:35 PM (IST)

शाहगढ़ (अमेठी) : हिलोरे मारती आस्था और पूरा गंवई भारतीय रंग। ढेर सारी दुकानें। जहां तक नजर जाए बस सिर ही सिर। मान्यताएं अलग-अलग लेकिन एक बात पर सभी राजी। कभी न कभी तो बाबा नंद, कन्हैया और बलदाऊ के साथ यहां आए ही थे। बाबा नंद के उसी पड़ाव स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आज भी जिले ही नहीं बल्कि कई जिलों के यदुवंशियों का जमावड़ा होता है।

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बाबा नंदमहर के धाम को लेकर न तो कोई ऐतिहासिक तथ्य है और न कोई पौराणिक आख्यान। मान्यताओं के आधार पर आस्थावान यहां जुटते हैं। नगाड़ों की थाप पर आसमान छूते झंडे ऊपर वाले की बारगाह में अपनी इबादत दर्ज कराने के लिए जमीन छोड़ देने की कोशिश करते हैं तो आठ प्रकार की जय बोलकर राजा बलि और पवरिया महाराज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यदुवंशी वातावरण को सुरम्य बना देते हैं। मान्यताओं को माने तो ज्यादातर जानकार इसी पर एकमत हैं कि बाबा नंद ने यहां कभी पड़ाव किया था। बुजुर्ग बताते हैं कि बाबा नंद कन्हैया और बलदाऊ के साथ रामलला के दर्शन को अयोध्या जाते समय यहां रुककर विश्राम किया था।

-जय में छिपा है देश प्रेम का भाव

यदुवंशी आठ विशेष प्रकार की जय बोलते हैं। जिसमें गंगा माता की, धरती माता की, सरयू माता की, गोकुला छत्र की, कृष्ण बलराम की, माता भुइलन की, राजा बलि की, पवरिया की जय बोली जाती है।

-कौन हैं राजा बलि

राजा बलि को हिरण्यकश्यप का वंशज माना जाता है, लेकिन यहां के यादवों की नजर में राजा बलि वे न होकर कृष्ण के भाई बलराम है।

-कौन हैं पवरिया

पवरिया राजा बलि के सेवक माने जाते हैं। वे हमेशा राजा बलि के साथ -साथ चला करते थे। इसी प्रकार बलि व पवरिया की पूजा की जाती है। आज भी बलि को पूजने वाले को पवरिया कहते हैं।

-गजेटियर में भी है उल्लेख

अवध गजेटियर में लिखा गया है कि गौरीगंज के उत्तर पूर्व में नंद महर धाम में यादवों का एक बड़ा मेला कार्तिक पूर्णिमा को आयोजित होता है। जो अगले तीन दिनों तक चलता है।

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-मेले को लेकर मुस्तैद है प्रशासन

डीएम चंद्रकांत पांडेय ने प्रमुख विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर मेले को सकुशल संपन्न कराए जाने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। मेले में पेयजल के लिए तीन टैंकर पानी प्रतिदिन रहेगा। इसके अलावा साफ-सफाई व्यवस्था करा दी गई है। मेले में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए मेले में एक अस्थाई पुलिस चौकी की व्यवस्था की गई है। पुलिस के साथ पीएसी के जवान भी लगाए गए हैं। मेला व्यवस्थापक आनंद विक्रम सिंह रेसी कोट व बजरंग सिंह ने बताया कि मेले में आने वाले दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए सारी व्यवस्थायें की गई हैं।

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