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बालिका शिक्षा के अगुवा बन गए कमलाकर

अमेठी,जागरण संवाददाता: खुद की तालीम पूरी करने के लिए उन्हें घर से कई किमी दूर जाना पड़ता था। हालात अन

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 08:26 PM (IST)
बालिका शिक्षा के अगुवा बन गए कमलाकर

अमेठी,जागरण संवाददाता: खुद की तालीम पूरी करने के लिए उन्हें घर से कई किमी दूर जाना पड़ता था। हालात अनुकूल नहीं थे। लेकिन तभी शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने का मन बना लिया। कदम बढ़ते गए और राहें मुश्किल होती गई। इसी बीच बैंक की नौकरी भी मिली, लेकिन उसे त्यागकर शिक्षा का दान करने घर आ गए। स्कूल में बतौर शिक्षक की कमाई मिलने वाले खर्चे से तालीम की रोशनी फैलाने वाला ऐसा दिया जलाया कि वे बालिका शिक्षा के क्षेत्र के अगुवा बन बैठे।

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गौरीगंज विकास खंड के पूरे नेमधर पंडित गांव में जन्मे कमलाकर मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक स्कूल में ही हुई। इसके बाद की शिक्षा के लिए उन्हें अमेठी से धम्मौर तक का सफर करना पड़ा। यहीं से उनके मन में शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने का जच्बा पैदा हो गए। तभी 32 साल की उम्र में पंजाब नेशनल बैंक राउरकेला उड़ीसा में क्लर्क की नौकरी भी मिल गई। लेकिन साल भर में ही उनका मन नौकरी से उचट गया। सबकुछ छोड़कर घर आ गए और हनुमत इंटर कालेज में भूगोल पढ़ाने लगे। साल भर के भीतर ही वे भूगोल प्रवक्ता के रूप में श्री रणंजय इंटर कालेज गौरीगंज में नियुक्त हो गए। यहीं से अपनी जमापूंजी को सहेज कर बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा से जोड़ने के लिए क्षेत्र के पहले इंग्लिश स्कूल के रूप में शिव महेश इंग्लिश स्कूल की वर्ष 1985 में स्थापना की। कालांतर में यह विद्यालय अंग्रेजी माध्यम को छोड़कर बालिकाओं की शिक्षा का प्रतीक बन गया। 1993 में स्कूल का शिव महेश बालिका इंटर कालेज के नाम से विस्तार किया गया। वर्तमान में यह जिला मुख्यालय पर केवल बालिकाओं का इकलौता स्कूल है। इस समय स्कूल में लगभग 12 सौ छात्राएं अध्ययनरत हैं। उच्च शिक्षा के लिए 2012 में उन्होंने शिव महेश शैक्षिक संस्थान महाविद्यालय की स्थापना की। जिसमें बीएड की शिक्षा दी जाती है।

साइंस का महाविद्यालय बनाना है सपना

कमलाकर मिश्र कहते हैं कि समाज ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैने कभी खुद नहीं सोचा था कि मैं इतना कर पाऊंगा। लोग मिलते गए और सोपान बढ़ता गया। लोगों के दिलों में इज्जत ही सबसे बड़ा परिणाम है। गौरीगंज के महामना मनीषी को अपना आदर्श बताते हुए उन्होंने कहा कि मेरा सपना साइंस वर्ग का महाविद्यालय बनाना है। इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है।


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