आधी आबादी बनी परिवार की जीविका का सहारा
परिवार पर संकट आने पर वीरांगन की तरह अपने परिवार की रक्षा करने वाली महिलाएं लॉकडाउन में परिवार का सहारा बनी हैं। लॉकडाउन के चलते रोजगार खो चुके परिवार के मुखिया का सहारा गृह स्वामिनी बनी हैं।
अंबेडकरनगर : परिवार पर संकट आने पर वीरांगन की तरह अपने परिवार की रक्षा करने वाली महिलाएं लॉकडाउन में परिवार का सहारा बनी हैं। लॉकडाउन के चलते रोजगार खो चुके परिवार के मुखिया का सहारा गृह स्वामिनी बनी हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ी कुशल महिलाएं जीवन रक्षक मास्क बना परिवार का सहारा बन रही हैं। जिले में 6490 स्वयं सहायता समूह संचालित हैं। समूह की महिलाओं ने मई माह तक चार लाख मास्क बनाकर करीब 20 लाख की आय कर चुकी हैं। संकट की इस घड़ी में जब हर किसी को अपना पेट पालने को मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे में समूह की महिलाएं इस कठिन चुनौती को स्वीकार कर रोजगार के नए अवसर तैयार करने में जुटी हैं। विकास खंड टांडा कि अंबेडकर आजीविका स्वयं सहायता समूह की समूह सखी दीपमाला बताती हैं कि पति जितेंद्र कुमार कारपेंटर हैं। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में उनका कामकाज पूरी तरह ठप था। राष्ट्रीय आजीविका मिशन से मास्क तैयार कर परिवार की आजीविका चला रही हूं। एक मास्क तैयार करने पर सिलाई के रूप में पांच रुपये मिलते हैं। अब तक 14 सौ मास्क बना चुकी हूं। जिसका भुगतान खाते में आ गया है। विकास खंड टांडा की जय लक्ष्मी स्वंय सहायता समूह की ज्ञानधारी बताती हैं कि उनके पति मुंबई में काम करते हैं। लॉकडाउन में उनका काम बंद है। जिससे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई है। स्वयं सहायता समूह से 100 मीटर कपड़ा मिला था। जिससे 509 मास्क तैयार कर किया है और इससे मिली आमदनी परिवार की जीविका का सहारा बनी है।
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वैश्विक महामारी में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से मास्क बनवाया जा रहा है। जिससे इस लॉकडाउन में महिलाओं को अपने घर पर ही रोजगार मिल रहा है। अब तक करीब चार लाख मास्क समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा चुका है।
आरबी यादव
डीसी एनआरएलएम