आंदोलन की राह पर बुनकर, ठप हुए पावरलूम
अंबेडकरनगर : धागों के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि व फ्लेट रेट पर बिजली दिए जाने के साथ ही
अंबेडकरनगर : धागों के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि व फ्लेट रेट पर बिजली दिए जाने के साथ ही पुरानी पासबुक व्यवस्था से विद्युत बिल वसूलने समेत अन्य कई मांगों को लेकर नगर ही नहीं बल्कि बुनकरी पेशे से जुड़े नगपुर समेत इलाकाई बुनकर गुरुवार से अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले गए। इससे लगभग पांच हजार पावरलूमों की खटर-पटर ठप हो गया है। एक तरफ नगर में पावरलूमों की खामोश खटर-पटर व दूसरे सैकड़ों साल से प्रदेश स्तर की सप्ताह में दो दिन लगने वाली बुनकर बाजार का सूनापन सदियों बाद सरकार की नीतियों के विरोध में बुनकरों में पनप रहे असंतोष का गवाह बना। वरिष्ठ कपड़ा उद्यमी गमछा व्यवसायी मनोज अग्रहरि, अर्जुन मौर्य समेत कइयों ने बुनकरों की मांगों को जायज करार देते हुए हड़ताल का समर्थन करते हुए सरकार की नीति को बुनकर विरोधी बताया है। हड़ताल के क्रम में बुनकर मजदूरों के दयनीय स्थिति को देखते हुए बुनकर फेडरेशन के अध्यक्ष नदीम अंसारी के नेतृत्व में हड़ताल प्रतिनिधिमंडल ने उपजिलाधिकारी संतोष कुमार ¨सह को ज्ञापन सौंपते हुए समस्या के प्रति केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में खुर्शीद, रशीद कौसर, मजहरुलहक आदि शामिल रहे। दस हजार बुनकरों के समक्ष भरण-पोषण की समस्या
जलालपुर : नगर क्षेत्र की पावरलूम बंदी के साथ ही सप्ताह की बुनकर मार्केट बंद हो जाने से जहां प्रतिदिन कई लाख के कारोबार न हो पाने से पॉवरलूम मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। नगर में पावरलूमों पर ही आश्रित लगभग 10 हजार बुनकर मजदूरों के परिवारीजनों के लिए भरण-पोषण की समस्या उठ खड़ी हुई है। जाफराबाद निवासी जुल्फेकार का कहना है कि न खेती है न कोई और रोजगार। लुंगी, गमछा की बिनाई से परिवार का पेट चलता है। ऐसे में मेरे परिवार के सामने और खर्च की तो बात ही दीगर है। रोटी दाल का भी संकट आ गया है। काजीपुरा के अबरार भी पावरलूम बंदी से दुखी है। उन्होंने बताया कि बड़ा परिवार है। मजदूरी ही एक सहारा है। पावरलूम बंद हो गए हैं। अब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तो दरकिनार, पेट पालना दुश्वार हो जाएगा।
सरकार पर बुनकरों की आवाज दबाने का आरोप
जलालपुर : हड़ताल की कमान संभाल रहे बुनकर फेडरेशन के अध्यक्ष नदीम अंसारी, नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद अध्यक्ष अहमद हसन के प्रतिनिधि आफताब अहमद, रईस अहमद आदि का कहना है कि मिलों से धागों की आपूर्ति अप्रत्याशित मूल्यों की बढ़ोत्तरी से बुनकरों का शोषण किया जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार उल्टे मिल मालिकों को ही संरक्षण प्रदान कर बुनकरों की आवाज दबा रही है।