19 करोड़ खर्च फिर भी नलकूप ठप
अंबेडकरनगर : राजकीय नलकूपों के मरम्मत के नाम पर अभिलेखों में प्रतिवर्ष करीब 19 करोड़ रू
अंबेडकरनगर : राजकीय नलकूपों के मरम्मत के नाम पर अभिलेखों में प्रतिवर्ष करीब 19 करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं फिर भी इनकी सेहत खराब ही है। मोटर, स्टार्टर, नाली, हौज व कुलाबे क्षतिग्रस्त हैं। अकेले भीटी तहसील क्षेत्र में 40 नलकूप वर्षों से खराब हैं। जबकि मामूली कमी के चलते बंद में इनकी संख्या 50 फीसद है, लेकिन विभाग के अभिलेख में खराब नलकूपों की संख्या 10-12 ही है और स्थाई रूप से खराब में इनकी संख्या विभाग 22 बता रहा है। जबकि जिले में कुल नलकूपों की संख्या 518 है। इसमें वर्षों से 22 नलकूप स्थाई रूप से बंद पड़े हैं।
विभागीय रिकार्डों के मुताबिक चालू हालत में 496 हैं। भीटी तहसील क्षेत्र में स्थित गांव बरहा, मंझनपुर, सम्मनपुर छितौनिया, बौरे, मदारभारी, रासलपारा, रिउना, खजुरी, भीटी, पूरेदरबार, पमोली, दहेमा, बसाइतपुर, मेंढ़वा रघुवंशी, खेड़वा जरुखा समेत 40 नलकूप वर्षों से खराब पड़े हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो इनमें महज 10 विद्युत विभाग व 30 विभागीय लापरवाही के कारण खराब हैं। इसके आलावा 40 नलकूप मामूली कमी के चलते बंद पड़े हैं। अवर अभियंता रविप्रकाश श्रीवास्तव के मुताबिक भीटी के नौ नलकूपों के मोटर खराब हैं। यह स्थिति तब है, जब प्रतिवर्ष प्रति नलकूप मरम्मत के नाम पर शासन 38 हजार रूपये की दर से विभाग को 18 करोड़ 84 लाख आठ हजार रूपये प्रदान करता है। ऐसे में नलकूपों की स्थिति खुद ही विभाग के दावे को झुठला रही है। अधिकांश नलकूप झाड़ियों में गुम हैं। मोटर, स्टार्टर, केबिल, भवन, हौज, कुलाबे, नालियां विभाग की चैतन्यता को बयां कर रही हैं। नलकूप विभाग के अधिशासी अभियंता ने बताया कि जिले में 22 नलकूप वर्षों से फेल हैं। खराब नलकूपों की
संख्या 10 से 12 है। जिन्हें ठीक कराने की दिशा में काम चल रहा है। 496 नलकूपों के सापेक्ष मात्र 70 ऑपरेटर हैं। समय से नलकूपों की खराबी व मरम्मत न हो पाने के पीछे यह भी एक अहम कारण है। जहां भी खराबी क सूचना मिलती है, तत्काल टीम भेजकर समस्या का निदान किया जाता है। शिकायत प्राप्त होने की दशा में ऑपरेटरों को भी चेतावनी दी जाती है।
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-मरम्मत में प्रतिवर्ष 63 लाख आठ हजार रूपये का खर्च-
भीटी : भीटी तहसील क्षेत्र में 166 राजकीय नलकूप हैं। इनमें करीब 60 किसी न किसी कमी के चलते बंद हैं। नाली, हौज, कुलाबे आदि क्षतिग्रस्त हैं। जबकि इनकी मरम्मत के नाम पर प्रतिवर्ष 63 लाख आठ हजार रूपये अभिलेखों में खर्च दिखाया जा रहा है। विभाग द्वारा मरम्मत के नाम पर खर्च किए जा रहे धन और नलकूपों की स्थिति धन में खेल की तरफ इशारा करती है। अवर अभियंता रविप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि भीटी में नौ नलकूपों का मोटर खराब है। शीघ्र ही मरम्मत कराकर लगवा दिया जाएगा।
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-496 के सापेक्ष 70 पर ऑपरेटर की तैनाती-
भीटी : नलकूपों की संख्या 496 है। इसके सापेक्ष मात्र 70 ऑपरेटर की तैनाती है। ऐसे में प्रति ऑपरेटर के जिम्मे करीब आठ नलकूपों की देखरेख का जिम्मा है। नलकूपों की बदहाली के पीछे यह भी एक अहम कारण है। जानकारों की मानें तो ऑपरेटर भी महीनों संबंधित नलकूपों पर जाते ही नहीं। विभाग की बेरुखी से किसानों का मोह इनसे भंग होता जा रहा है और वे निजी नलकूपों पर आश्रित होते जा रहे हैं।