बेटियों के लिए मिसाल बनीं सुलेखा
²ढ़ इच्छा और मजबूत इरादों से जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
अंबेडकरनगर: ²ढ़ इच्छा और मजबूत इरादों से जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है। इसी मंत्र के बूते एक नहीं दो-दो नौकरियां हासिल कर सुलेखा बेटियों के लिए मिसाल बन गईं। मेहनत और लगन को जीवन की सफलता की कुंजी मानकर माता-पिता की प्रेरणा से सुलेखा यादव ने सफलता की ओर कदम आगे बढ़ाया तो मुकाम हासिल कर लिया। बाल विकास परियोजना अधिकारी बाराबंकी के पद पर आसीन सुलेखा इन दिनों बच्चों और नौनिहालों के सेहत सुधारने में जुटी हैं। जलालपुर तहसील के ग्रामीण क्षेत्र चाडीडीहा के रहने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारी पति हरिकेश यादव के साथ विवाह हुआ तो जीवन में बदलाव की बयार बहने लगी। सुलेखा यादव का मायका आजमगढ़ जनपद के फूलपुर तहसील के सुम्माडीह गांव में है।
प्राथमिक विद्यालय से पढ़कर बढ़ीं आगे: आजमगढ़ जनपद के सीमावर्ती गांव सुम्माडीह निवासी किसान लालमणि यादव के घर जन्मीं सुलेखा यादव उनकी पहली संतान थीं। पिता और माता शांति देवी के प्यार-दुलार ने सुलेखा को कुशाग्र बुद्धि बनाया। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षा जहां गांव के सरकारी विद्यालय से हुई, वहीं हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की पढ़ाई जलालपुर तहसील के एनडी इंटर कॉलेज से की। इसके बाद लक्ष्य साधने के उद्देश्य से उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री अच्छे अंकों से हासिल की।
महिलाओं की स्थिति सुधारने की ख्वाहिश: प्रथम प्रयास में ही सुलेखा अंबेडकरनगर में 2011 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर चयनित हुईं। इसके पहले 2008 में लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल हुई थीं। परिणाम 2014 में आया और सुलेखा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में सीडीपीओ पद पर चयनित होकर बाराबंकी जनपद में नौनिहालों व बच्चों की सेहत सुधारने में जुटी हैं। वह महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए जीवन में अभी बहुत कुछ करने की तमन्ना रखती हैं।