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दम तोड़ने लगा कसेरा बिरादरी के पुस्तैनी धंधा

अंबेडकरनगर : पीतल के बर्तनों पर कशीदाकारी करने का काम अब मंद पड़ गया है। वक्त के थ

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 10:02 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 10:02 PM (IST)
दम तोड़ने लगा कसेरा बिरादरी के पुस्तैनी धंधा
दम तोड़ने लगा कसेरा बिरादरी के पुस्तैनी धंधा

अंबेडकरनगर : पीतल के बर्तनों पर कशीदाकारी करने का काम अब मंद पड़ गया है। वक्त के थपेड़े खाने को मजबूर कसेरा बिरादरी के लोगों का बर्तन बनाने का काम सिमटकर नाममात्र रह गया। टांडा सहित आसपास के क्षेत्रो में पीतल के कारोबारियों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। देखा जाए तो इस समय कुछ नाम मात्र के कसेरा बिरादरी के लोग अपने इस पुस्तैनी धंधे को ¨जदा रखे हैं। स्टील व सिलवर के बर्तनों के बढ़ते चलन से पीतल के बर्तनों को बनाने व उसपर कशीदाकारी का काम दम तोड़ता जा रहा है। पीतल के बढ़ते दामों की वजह से इनके पास काम के लाले पड़ गए हैं। पीतल छोड़ स्टील के बर्तनों को प्रयोग को बेहतर समझने लगे हैं। अपने पुस्तैनी धंधे में लगी कसेरा बिरादरी को अब तो शादी ब्याह के अवसरो का बेसर्बी से इंतजार रहता है। हालांकि अब लोग यहां भी पीतल की जगह स्टील के बर्तनों का प्रयोग करने लगे हैं। पीतल के तमाम बर्तनों में फूल की थाली गुजरे जमाने की बात हो गई है। पीतल के बर्तनो की खरीददार भी कम दिखाई पड़ते हैं। कसेरा बिरादरी कच्चा माल लेकर पीतल के बर्तन बनाकर उसपर कशीदाकारी करने का काम अब बंद होने के कगार पर है। हयातगंज के नरेंद्र कसेरा बताते हैं कि अब लोग पीतल के बर्तनों की जगह स्टील के बर्तनों को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं। साथ ही दिन प्रतिदिन पीतल के दामों ने आसमान छुआ है। जबकि स्टील पीतल के दामों से ज्यादा सस्ता भी है। इसका सीधा असर कसेरा बिरादरी के इस पुस्तैनी धंधे पर पड़ा है।

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