महिलाओं में स्वरोजगार की शक्ति जगा रहीं दुर्गावती
महिलाओं को अबला से सबला बना रही हैं। पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने कदम बढ़ाया।
अंबेडकरनगर : गरीबी का दंश झेल रही महिलाओं को उनके शक्ति रूप का एहसास कराने में दुर्गावर्ती जुटी है। टांडा विकास खंड की खैरा ग्राम पंचायत निवासिनी दुर्गावती स्वयं सहायता समूह का गठन कर महिलाओं को अबला से सबला बना रही हैं। पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने कदम बढ़ाया और इसके लिए सिलाई-कढ़ाई को हथियार बनाया। आर्थिक सबल बनकर अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा देकर प्रशासनिक अधिकारी बनाने में प्रयासरत हैं। उनकी मुहिम खुद की दहलीज के बजाए गांव की महिलाओं को सबल बनाने में आगे बढ़ी है।
दुर्गावती की सफलता से प्रेरित लगभग 50 महिलाओं ने उनसे हुनर सीख कर स्वरोजगार हासिल कर लिया है। बहू-बेटियों के साथ करीब सौ महिलाएं यहां मुफ्त का प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं। इब्राहिमपुर थाना क्षेत्र के चिनगी गांव निवासी पूर्व ब्लॉक प्रमुख कटेहरी जियालाल ने अपनी पुत्री दुर्गावती की शादी खैरा गांव के सुरेंद्रनाथ वर्मा से की। सुरेंद्र खेती-बाड़ी का काम करते हैं। दुर्गावती की पढ़ाई-लिखाई भी ज्यादा नहीं हो सकी थी। दुर्गावती ने खुद स्वरोजगार करने के साथ नारियों को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया। पति सुरेंद्र वर्मा भी दुर्गावती की सोच के अनुसार काम करने लगे। करीब 25 वर्षों से दुर्गावती ढाई हजार बहू-बेटियों को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, पेंटिग, तथा ब्यूटी पार्लर का हुनर सिखा चुकी है। दुर्गावती अपने स्वरोजगार से अपनी एक बेटी खुशबू को उच्च शिक्षा दिलाकर प्रशासनिक अधिकारी बनाने के लिए तैयारी करा रही है। सुशीला, वंदना, गीता, सुमन, पूजा, अंतिमा, लता सिंह, डाली, रीना आदि युवतियां हुनर सीख रही है।
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-सफलता बनी प्रयासों की गवाह: हुनर का हौसला सीखकर गुड़िया वर्मा, सविता, पुष्पा, किरन, माधुरी, अंजू, कमलेश आदि महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैं। किरन ने पेंटिग सीखा और आज खूबसूरत चित्रकारी से दौलत और शोहरत कमा रही हैं। बाकी महिलाएं सिलाई और कढ़ाई के बूते आर्थिक स्थिति मजबूत कर गरीबी से जीतने में लगी हैं।
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सरकार का चाहिए साथ : दुर्गावती कहती हैं बीते करीब 30 वर्षों से हम महिलाओं को निश्शुल्क हुनर सिखाकर स्वरोजगार करने के काबिल बना रहे हैं और स्वयंसेवी संस्था का रजिस्ट्रेशन भी है।