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रैबीज इंजेक्शन है न पैरासिटामॉल

अंबेडकरनगर : सरकारी फरमान की सख्ती से तो नगर क्षेत्र की स्वास्थ्य इकाइयों में चिकित्सकों क

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 10:00 PM (IST)
रैबीज इंजेक्शन है न पैरासिटामॉल
रैबीज इंजेक्शन है न पैरासिटामॉल

अंबेडकरनगर : सरकारी फरमान की सख्ती से तो नगर क्षेत्र की स्वास्थ्य इकाइयों में चिकित्सकों का समय से अस्पताल पहुंचने व पूरे समय मरीजों को देखने में काफी सुधार हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व शासन स्तर से ही दवाइयों के स्टाक में कमी, चिकित्सकीय उपकरणों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी हो जा रही है। यही नहीं नियुक्तियों के अभाव में जहां बेहतर विभागीय कुशल चिकित्सकों के अभाव के चलते मरीजों की सही डायग्नोसिस न होने से इलाज नहीं हो पा रहा है। इक्का-दुक्का विशेषज्ञों के रहते भी उपकरण के अभाव में इलाज संभव नहीं है। गुरुवार को सुबह 10.40 बजे जागरण टीम महिला अस्पताल पहुंची तो नगर के महिला अस्पताल में महिला चिकित्सकों के पर्ची पर अधिकांश दवाएं अस्पताल में नहीं मिली। हद तो यह है कि यहां जहरीले जानवरों के काटने की राहत के इंजेक्शन नहीं है। कुत्ते काटने की दवा न इंजेक्शन है। हास्यापद तो यह है कि नौनिहाल व शिशुओं के बुखार ठीक करने के लिए पैरासिटामॉल तक की पूर्ति नहीं होगी। उक्त संबंध में फार्मासिस्ट रविश्याम पटेल का कहना है कि डिमांड जिला मुख्यालय पर समय से जाती रहती है। दवाएं भी खर्च होती रहती है। दोपहर तक 80 से अधिक महिला व बच्चों को चिकित्सकों ने देखा। लैब में 12 महिलाओं की जांच में पांच शुगर से पीड़ित मिली। डॉ. मोहसिना, डॉ. शशिबाला मरीजों को देखती मिली। एलटी सीबी यादव खून की जांच कर रहे थे। वहीं फार्मासिस्ट रविश्याम पटेल, उमाकांत दवा स्टोर देख रहे थे। मरीज, चिकित्सकों द्वारा दिया गया दवा का पर्चा लेकर दवा नहीं है की बात सुनकर परेशान दिखी। अस्पताल के मैटरनिटी ¨वग में मौजूद स्टाफ नर्स विभा यादव व मधूलिका वर्मा ने बताया कि यहां भी उपकरणों का अभाव है। सीमित संसाधनों के बीच हर माह 20 से 30 गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। नगपुर सीएचसी अधीक्षक डॉ. जावेद का कहना है कि सीमित संसाधनों के बीच बेहतर इलाज की कोशिश की जा रही है।

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----------कई महत्वपूर्ण दवाएं भी नहीं-

जलालपुर : नगर के महिला अस्पताल में निरीक्षण के दौरान बी. काम्प्लेक्स सिटीजन, सैप्ट्रो हेपेटोडीन, सिप्रोफ्लाक्सासिन, ओनडिस्टेरम, रेनिटिडीन, डोमवेरीडान, एक्लोफैनाल, नारक्लाक्सिन, पैरासिटामाल, अफ्लाक्सोसिन 200 एमजी आदि महत्वपूर्ण दवाओं का ही अभाव रहा। यही नहीं पेट दर्द, दाद, खाज व विटामिन तक का स्टोर में अभाव दिखा। सूत्रों की मानें तो अधिकांश पेटेंट दवाइयां व ग्लूकोज की बोतलें विभागीय सांठ-गांठ से बाहरी मेडिकल स्टोरों पर भेज दी जाती है।

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चहुंओर परिसर में गंदगी का आलम-जलालपुर : स्वच्छ भारत मिशन के सच की हकीकत अस्पताल परिसर बयां करता दिखा, जहां सफाईकर्मी के अभाव में परिसर में गंदगी बिखरी मिली। परिसर में ही रैन बसेरा बस नाम का है।


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