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घाघरा के घाटों को नीलाम करने का विरोध

मत्स्य शिकार के लिए घाघरा नदी के घाटों को नीलाम करने पर मांझी समुदाय ने विरोध जताया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 11:09 PM (IST)
घाघरा के घाटों को नीलाम करने का विरोध
घाघरा के घाटों को नीलाम करने का विरोध

अंबेडकरनगर: मत्स्य शिकार के लिए घाघरा नदी के घाटों को नीलाम करने पर मांझी समुदाय में उबाल है। मांझी समुदाय के लोगों ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर नीलामी निरस्त करने की मांग की है।

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तहसील क्षेत्र के उत्तरी सीमा से होकर घाघरा नदी तकरीबन 40 किलोमीटर लंबाई में बहती है। पश्चिम में शेरवा घाट से लेकर पूरब में मयंदी घाट तक नदी के किनारे मांझी समुदाय के परिवार बसे हैं। मत्स्य शिकार करना इनका पुश्तैनी पेशा है। मांझी समुदाय के लोग वर्षों से घाघरा नदी में मत्स्य आखेट कर कस्बों, गांवों के बाजारों में बिक्री कर होने वाली आय से परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं। इस बार गांवों में स्थित तालाबों को मत्स्य पालन के लिए नीलाम करते समय तहसील के राजस्व अधिकारियों की उपस्थिति में मत्स्य पालन विभाग ने घाघरा नदी को पांच हिस्सों में विभाजित किया। इसमें से तीन हिस्सों को नीलाम कर दिया है। मांझी समुदाय के दिलीप मांझी, सुरजीत मांझी, भवानी प्रसाद, राकेश कुमार, रूमेश, जितेंद्र, अजय, अरविद, शुभम, रामनाथ मांझी ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से मांझी समुदाय के लोग मत्स्य आखेट कर परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं। उनके पास इस पुश्तैनी पेशे के अलावा रोजी रोटी का कोई साधन नहीं है। नदी को मत्स्य आखेट के लिए नीलाम करने से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इससे टकराव की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में नीलामी को निरस्त किए जाने की जरूरत है।


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