पीपे का पुल अधूरा, नाव ही पार उतरने का सहारा
सरयू नदी के कम्हरिया घाट पर बने पीपे के पुल का कार्य पूरा न होने से आवागमन करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
अंबेडकरनगर: सरयू नदी के कम्हरिया घाट पर बने पीपे के पुल को राहगीरों के लिए नहीं खोले जाने से उन्हें जलालत झेलनी पड़ रही है। मजबूरी में लोग जान जोखिम में डाल नाव के सहारे आ-जा रहे हैं। वहीं सड़क से जाने के लिए बिड़हरघाट व दोहरीघाट के रास्ते आवागमन करना पड़ रहा है। इससे उन्हें 55 किलोमीटर की दूरी तय करने को 110 किलोमीटर तक का चक्कर काटना पड़ रहा है। इसमें ईंधन व समय का नुकसान हो रहा है। पुल से यहां के अलावा गोरखपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, आजमगढ़ के लोग भी लाभान्वित होते हैं। स्थानीय बाजार बेलघाट, कूरी, ऊरुवा बाजार, मदैनियां, गढ़वल, सरयूनगर की बाजारों का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। यहां से लकड़ी, गुड़, पशु, वस्त्र, सब्जी, मूंगफली आदि का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। स्थानीय निवासी गिरधारी तिवारी, सत्यम तिवारी, विनोद विश्वकर्मा, जगदंबा सिंह आदि ने जल्द पुल शुरू कराने की मांग की है।
आठ वर्ष से लंबित है निर्माण: कम्हरियाघाट में पीपे के पुल के बगल एक स्थाई पुल बनाया जा रहा है लेकिन यह आठ साल में भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका जबकि इसे तीन साल में बनकर तैयार होना था। ऐसे में समय के साथ लागत बढ़ने से यहां दो वर्ष से कार्य ठप था। अब कार्यदायी संस्था की प्रति-भू जब्त होने के बाद दूसरी कार्यदायी संस्था ने निर्माण शुरू कराया है लेकिन उसकी भी गति काफी सुस्त है।
एक दिसंबर से खुलना था पीपे का पुल: कम्हरियाघाट पर छह महीने नौका व छह माह पीपे के पुल से आवागमन होता है। बरसात के दिनों में नदी में ज्यादा पानी होने से 15 जून से 14 दिसंबर तक नाव से आने की व्यवस्था निर्धारित की गई है जबकि शेष दिनों में पीपे के पुल से आवागमन होता है। पुल नवंबर में तैयार होकर एक दिसंबर से क्षेत्रीय जनता व छोटे वाहनों के लिए खोल दिया जाता है। बड़े वाहनों से आवागमन 14 दिसंबर के बाद होता है लेकिन अभी तक निर्माण प्रक्रिया भी नहीं शुरू हो सकी है। इसके निर्माण में एक माह का वक्त लगता है।
इस बार नदी की कटान अधिक होने के कारण धारा की चौड़ाई काफी बढ़ गई है। यहां उपलब्ध 88 में 84 पीपे लगा दिए गए हैं। 21 पीपे की और आवश्यकता है। इलाहाबाद से मंगाकर जल्द ही आवागमन शुरू किया जाएगा।
गौरव श्रीवास्तव, अवर अभियंता, पीडब्ल्यूडी, गोरखपुर