प्लांट और पाइपलाइन के बाद भी खरीद रहे ऑक्सीजन
रात के समय में परेशानी और बढ़ जाती है। दैनिक जागरण में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद चिकित्सालय प्रशासन जागा।
अंबेडकरनगर : कोरोना संकटकाल में पॉजिटिव, गंभीर रोगियों, वृद्धजनों व दुर्घटना में घायलों के लिए ऑक्सीजन का बंदोबस्त बेहद जरूरी है लेकिन, अस्पतालों में पाइपलाइन होने के बावजूद मरीजों को सिलिडर लगाना पड़ता है। जागरण के अंक में प्रमुखता से इस मुद्दे को प्रकाशित करने पर अब जिला चिकित्सालय प्रशासन की नींद खुली और मरम्मत कार्य शुरू हुआ। वहीं, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि दिन में तो आसानी से ऑक्सीजन मिल जाती है लेकिन, रात में कर्मचारियों की लापरवाही और कमी बताकर मरीजों को रेफर तक कर दिया जाता है।
चिकित्सालय के ज्यादातर वार्डों में पाइपलाइन है लेकिन, ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है। इसमें रोजाना 3500 से चार हजार रुपये तक की ऑक्सीजन खरीदी जाती है। जबकि चिकित्सालय के पास स्वयं का प्लांट है। जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट के अलावा सिलिडर की प्रचुरता के बाद भी सामान्य मरीजों को ऑक्सीजन मिलना काफी कठिन नजर आता है। बेहद गंभीर हालत के मरीजों तक ही यह सुविधा सीमित रहती है।
मरीजों की जुबानी : इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीज राम शब्द, राम नायक तथा विजय कुमार तिवारी को सिलिडर के जरिए ऑक्सीजन मिल रही थी। बताया कि रात के समय सांस लेने में परेशानी होने पर सिलिडर नहीं लगाया जाता है।
सीएमएस जिला चिकित्सालय डॉ. पीएन यादव ने बताया कि वार्डों में पाइपलाइन काफी वर्षों से लगी है। इससे कहीं-कहीं पर मरम्मत की आवश्यकता थी। उसे ठीक किया जा रहा है। जल्द ही प्लांट से ऑक्सीजन मुहैया होगी, ताकि बाजारों से ऑक्सीजन क्रय न करना पड़े। कोविड हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।