माता का सजा दरबार पूजा होने लगी घर-द्वार
-वैदिक मंत्रोचारण के बीच पंडालों में मूर्तियों की हुई स्थापना -रामलीला मंचन की तैयारियों को लेकर सवरने लगे कलाकार
अंबेडकरनगर : शारदीय नवरात्र पर मातारानी का दरबार मंदिरों से लेकर घर-द्वार सज गए हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पंडालों में मूर्तियों के स्थापना का सिलसिला तेज हो चुका है। शहर से लेकर ग्रामीणांचल तक मां दुर्गा के आराधना से वातावरण गुंजायमान हो चुका है। उधर रामलीला मंचन की तैयारियों को लेकर कलाकार भी संवरने लगे हैं। इस सब के बीच सोमवार को माता दुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की श्रद्धालुओं ने आराधना की। घर में स्थापित कलश के समक्ष माता का आह्वान कर आरती उतरी और विधि-विधान से पूजन करने के बाद भोग लगाया। मंदिरों पर सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। प्रशासन और पुलिस महकमा त्योहार पर सुरक्षा को लेकर सक्रिय है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना कर साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है। इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। मां दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों एवं सिद्धों को अनंतफल देने वाला है। माता की पूजा से मानव में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है, लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।