खतरे में नौनिहालों की जान, फिर भी अधिकारी अनजान
जिले के आधे परिषदीय विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है। सड़क किनारे स्थित स्कूलों में हर वक्त खतरा बना रहता है।
अंबेडकरनगर : परिषदीय विद्यालयों को संवारने के लिए सरकार पानी की तरह पैसे बहा रही है लेकिन छात्रों की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी बाउंड्रीवाल ही ज्यादातर विद्यालयों में नहीं है। इससे अभिभावक चितित हैं लेकिन, अधिकारियों में कोई फिक्र नहीं है।
जिले में इस समय कुल 1852 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें करीब एक लाख 73 हजार छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग कायाकल्प योजना के तहत इन स्कूलों को सजाने-संवारने के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च कर रहा है। लेकिन, विद्यालयों की बाउंड्रीवाल बनवाना शायद उसकी प्राथमिकता में नहीं है। यही कारण है कि 1852 विद्यालयों में नौ सौ से ज्यादा में अभी तक चहारदीवारी नहीं बन सकी है। बाउंड्रीवाल व गेट नहीं होने से छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को काफी मुश्किलें होती हैं। कई बार शिक्षण कार्य के दौरान बेसहारा पशुओं का झुंड स्कूल परिसर में घुस जाता है, इससे भगदड़ की स्थिति बन जाती है। वहीं, वाहनों के आवागमन से बच्चों की जिदगी को हमेशा खतरा बना रहता है।
इन स्कूलों में नहीं है बाउंड्रीवाल : प्राथमिक विद्यालय गदायां, कल्याणपुर व सिसारा, नसोपुर, सोहगूपुर, देवरहा रामपुर दुबे, बसिया, उसरहा, सोनगांव, अल्लीपुर, कालेपुर, उमरन, गोविद गनेशपुर, आजनपारा, शेखपुरा, राजकुमारी हाजीपुर, खानपुर उमरन, कबूलपुर, रुकुनपुर, भगलापुर, ताहापुर, देवरहा, हुसैनपुर, श्यामपुर, दरियापुर, बीबीपुर भुसौली प्रथम, टिकरी, गानेपुर, मीरापुर, संबलपुर आदि विद्यालयों में सुरक्षा के प्रबंध नहीं हैं।
अतुल कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कायाकल्प योजना के दूसरे चरण में ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कर बाउंड्रीवाल बनवाने के साथ गेट लगवाया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।