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..जयराम का जुगाड़ का ट्रैक्टर खेती के लिए कारगर

हुनर के सहारे कुछ कर गुजरने का जुनून अगर दिल में हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। पैसों के अभाव में संसाधन की उपलब्धता खेती-किसानी में आड़े आई तो आलापुर तहसील के भीखपुर गांव के जयराम निषाद ने जुगाड़ का ट्रैक्टर बना डाला।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 10:04 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 10:04 PM (IST)
..जयराम का जुगाड़ का ट्रैक्टर खेती के लिए कारगर
..जयराम का जुगाड़ का ट्रैक्टर खेती के लिए कारगर

रणविजय यादव, अंबेडकरनगर: हुनर के सहारे कुछ कर गुजरने का जुनून अगर दिल में हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। पैसों के अभाव में संसाधन की उपलब्धता खेती-किसानी में आड़े आई तो आलापुर तहसील के भीखपुर गांव के जयराम निषाद ने जुगाड़ का ट्रैक्टर बना डाला। इस मिनी ट्रैक्टर से एक घंटे में पूरे एक बीघा खेत की आसानी से जुताई हो जाती है। वह भी मात्र दो लीटर डीजल में। जयराम के पास सात बीघा खेत है, जिसमें वे गन्ना, गेहूं, धान और सब्जी की खेती करते हैं। लॉकडाउन के दौरान खेती में घाटा उठाने के बाद उनकी कमर टूट गई। लागत के सापेक्ष मुनाफा कम मिलने से परिवार पालने में कठिनाई आने लगी तो अपनी हुनर के बल पर कबाड़ के लोहे का इस्तेमाल कर जुगाड़ का मिनी ट्रैक्टर बनाया। वर्षों से पाई-पाई जोड़कर रखे पचास हजार रुपये की लागत से तैयार यह ट्रैक्टर 20 मजदूरों के बराबर काम करता है। इससे खेत की जुताई के अलावा सब्जियों की निराई में भी आसानी हो रही है। जयराम इस ट्रैक्टर में कल्टीवेटर और मेड़ बांधने वाला उपकरण तैयार करने में लगे हैं।

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------- खोलना चाहते हैं कारखाना : किसान जयराम निषाद बताते हैं कि वे मिनी ट्रैक्टर बनाने का कारखाना खोलना चाहते हैं, ताकि बड़े पैमाने पर इसका निर्माण कर अन्य किसानों को भी इसका लाभ दिलाया जा सके। बताया कि खेती किसानी के बाद बचे समय में वे मोबाइल पर तकनीक तलाशते रहते हैं। वहीं से कुछ नया करने की प्रेरणा मिली।

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बच्चों को देना चाहते अच्छी तालीम : खुद कक्षा नौ तक पढ़े किसान जयराम अपने बच्चों को बेहतर तालीम देकर तरक्की की बुलंदियों पर पहुंचाने का जज्बा रखते हैं। इनकी तीन संतानें हैं। सबसे बड़ी बेटी वंदना को बीएड जबकि दूसरे नंबर के बेटे कृष्ण को गाजियाबाद से बीसीए तथा सबसे छोटे बेटे कन्हैया को आजमगढ़ के एक निजी औद्योगिक विद्यालय में पढ़ा रहे हैं।


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