रामदेव को जेल में दी गई थी यातनाएं
अंबेडकरनगर : स्वंतत्रता आंदोलन के इतिहास में विकास खंड बसखारी के ग्राम पंचायत बर्गी निजामपुर
अंबेडकरनगर : स्वंतत्रता आंदोलन के इतिहास में विकास खंड बसखारी के ग्राम पंचायत बर्गी निजामपुर के रामदेव त्रिपाठी पुत्र दूधनाथ त्रिपाठी का नाम बड़े ही अदब एवं स्वर्ण अक्षरों में सम्मान सहित लिखा है। भारत मां के सच्चे सपूत रामदेव त्रिपाठी ने अंग्रेजों की दास्ता की बेड़ी को काटने के लिए जेल तक का सफर तय किया। वह अंग्रेजी हुकूमत को ललकारते हुए नरकटा के रामलीला बाग में विशाल जनसभा कर अंग्रेजों के दासता को समाप्त करने की मुहिम छेड़ी। जिस पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा उन्हें कैद कर 5 अगस्त 1941 में जेल में डाल दिया गया।अंग्रेजों द्वारा काफी यातनाएं दी गई। जेल से छूटने के बाद रामदेव त्रिपाठी ने स्वतंत्रता का बीड़ा उठाये अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते रहे। आजाद भारत का स्वप्न साकार करते हुए मां भारती की गोद में वह 24 दिसंबर 2004 को सदा के लिए सो गए। उनकी अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव बर्गी निजामपुर में सरयू नदी तट पर हुआ था।