हुसैन नाम है किरदार को बदलने का..
अंबेडकरनगर : अपनी आत्मा को पवित्र किए बिना समाज सुधार के नारे का कोई अर्थ नहीं है। दीन क
अंबेडकरनगर : अपनी आत्मा को पवित्र किए बिना समाज सुधार के नारे का कोई अर्थ नहीं है। दीन के नाम पर पैसे बंटोरना, कोठियां खड़ी करना, संपत्ति एकत्र करना भी उचित नहीं है। होना तो यह चाहिए कि इंसान सबसे पहले अपने आप को पवित्र करें, अपनी आत्मा को पवित्र करें और खुदा की राह में सबसे पहले अपना घर कुर्बान करने का जज्बा पैदा करे। इसके पश्चात दूसरों को निमंत्रण दे। यह बात नगर के मोहल्ला मीरानपुर स्थित मरहूम मौलवी जुल्फेकार हुसैन के अजाखाने में चांद रात की मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी ने कहीं। उन्होंने कहा कि लिबास बदलने से कुछ नहीं होगा, बल्कि वास्तविक हुसैनी होने के लिए किरदार बदलना होगा। कोई भी शख्स इमाम हुसैन की भांति अच्छाइयों को फैलाने और बुराइयों को रोकने के लिए अकेला ही मैदान में उतर सकता है। बड़े इमामबाड़े में सैय्यद सिब्ते हसन द्वारा मरहूम अबरार हुसैन आदि के पुण्य के लिए आयोजित एक अन्य मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैय्यद नदीम अब्बास ने कहा कि यह फर्श-ए-अजा हम सबके लिए मुकम्मल दरगाह है। यदि यहां से कुछ नहीं सीखा तो मजलिस में बैठने का कोई फायदा नहीं। उन्होंने अल्लाह, रसूल, कुरान, और आल-ए-रसूल के संदेशों को आत्मसात करने पर बल दिया। इसी तरह लोरपुर के मेंहदिया इमाम बारगाह में मजलिस का आयोजन शुरू हो गया है। मौलाना रफीस रजा ने इस मौके पर कहा कि कर्बला के इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों के याद में मनाया जाने वाला मुर्हरम उनकी बहादुरी के लिए भी जाना जाता है। गमजदा माहौल में कर्बला की याद जब उन्होंने ताजा की तो लोगों की आंखों में आंसू आ गए।
शुरू होगा मजलिसों का दौर
अंबेडकरनगर : पहली मुहर्रम बुधवार से नगर के विभिन्न स्थानों पर मजलिसों मातम का क्रम आरंभ हो जाएगा। मीरानपुर में प्रात: सात बजे से मजलिस का सिलसिला लाडले हुसैन के आवास से शुरू होगा। इसके बाद अलमदार हुसैन, बड़ा इमामबाड़ा राजा साहब, हसन अस्करी मजलिसी, शाहिद हुसैन तथा सरवर हुसैन जैदी के आवास पर निरंतर मजलिस आयोजित होगी। इसी प्रकार मोहल्ला अब्दुल्लापुर, गदायां, सिझौली, लोरपुर व पीरपुर में भी मजलिसों का क्रम देर रात्रि तक जारी रहेगा।
अजाखानों में पूरी हुईं तैयारियां
जलालपुर : मुहर्रम माह के शुरू होते ही नगर व क्षेत्र के अजाखानों में फर्श-ए मातम बिछ गई, जहां देर रात्रि तक कर्बला के जांबाज शहीदों की बहादुरी व दिलेरी का वर्णन किया जाने लगा हैं। शिया बिरादरी की महिलाएं, पुरुष,बच्चे काले वस्त्र धारण कर गम से सराबोर हो गए। जाफराबाद स्थित छोटे व बड़े इमामबड़ों में मजलिस के बाद अंजुमने देर रात्रि तक नौहा मातम में मशगूल हैं। कटघर मूसा, कटघर कमाल, नगपुर, कोर्झा, मथुरा रसूलपुर में भी अजाखाने सज गए हैं।