उत्तराखंड व नेपाली पानी से उफनाई घाघरा नदी लाल निशान के पार
उत्तराखंड व नेपाल में बारिश का असर अब टांडा व आलापुर तहसील क्षेत्र में दिखने लगा है।
अंबेडकरनगर: उत्तराखंड व नेपाल में बारिश का असर अब टांडा व आलापुर तहसील क्षेत्र में दिखने लगा है। इन दोनों तहसीलों से होकर बहती घाघरा नदी का जलस्तर गुरुवार को खतरे के लाल निशान 92.730 मीटर को पार कर गया है। घाघरा नदी में 4.05 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे नदी उफान आया है। इससे टांडा और आलापुर तहसील के तटीय इलाकों में बाढ़ का खतरा गहराया है। एडीएम अशोक कुमार कनौजिया ने बताया कि इससे निपटने की तैयारी पुख्ता है। नाविकों व बाढ़ चौकियों को सतर्क किया गया है। एसडीएम तथा राजस्व कर्मियों को बाढ़ के हालात पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है।
मानसूनी बारिश से उतार-चढ़ाव के बाद अब फिर से घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के लाल निशान पार करते हुए विकराल रूप धारण करने को बेताब है। बीते बुधवार की सुबह आठ बजे तक घाघरा नदी के जल स्तर में 45 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई। गुरुवार को सुबह तक घाघरा के जलस्तर में 24 घंटे के मध्य महज दो सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज हुई। सुबह आठ बजे घाघरा का जलस्तर 91.650 मीटर पर दर्ज किया गया। इसके बीच अचानक घाघरा नदी ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया। नदी के जलस्तर में 20 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से बढ़ोतरी दर्ज होने लगी। चार घंटों में नदी के जलस्तर में एक मीटर छह सेंटीमीटर का इजाफा हुआ। दो बजे तक घाघरा के जलस्तर में छह सेंटीमीटर की और बढ़ोतरी दर्ज की गई। अब घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 92.730 मीटर को पार कर 92.770 मीटर पर पहुंच गया है। नदी का जलस्तर खतरे के लाल निशान से चार सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। ऐसा तब हो रहा है जब गिरिजा, शारदा और सरयू बैराज से 4.05 लाख क्यूसेक पानी घाघरा नदी में छोड़ा गया है। ऐसे में उत्तराखंड व नेपाल में हो रही बरसात के बीच घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। नदी अब विकराल रूप धारण करने लगी है। पिछले माह बाढ़ का खतरा टलने के बाद बेफिक्र हो चुके तटवर्ती इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के माथे पर एक बार फिर चिता की लकीरें खींच दी है। घाघरा नदी की उफनाती लहरें हर साल बाढ़ की भयावह तस्वीर बनाती हैं। मानसूनी बारिश और तूफान में फसल की तबाही देखने के बाद आमजन और किसान इस आपदा से परेशान हैं। टांडा तहसील के उल्टहवा मांझा, मांझा कला, मांझा चितौरा, केवटला, नसरूल्लापुर, अवसानपुर, नैपुरा, सलोना घाट, ढेलमऊ, डुहिया समेत दर्जनों गांव समेत नगर के नेहरूनगर, मेहनिया, अलीगंज उत्तरी समेत कई मुहल्ले के रहने वालों को इससे दो चार होना पड़ता है। टांडा का मांझा उल्टहवा व मांझा कलां नदी के दो धाराओं के बीच बसा है। ऐसे में बाढ़ के दौरान यह पानी से चारों तरफ से घिर जाता है। इससे यहां आवागमन का नाव ही एक मात्र सहारा रहता है। ऐसे में यहां के ग्रामीणों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।