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अधूरा पड़ा है राजकीय मॉडल स्कूल, स्वप्न ही रह गया केंद्रीय विद्यालय

गों को अपने लाडलो को दूर भेजना पडा़। इस बार मतदाता शिक्षा के मुद्दे पर प्रत्याशियों से आमना-सामना करने को तैयार है। ऐसे ही मुद्दों पर अंबेडकरनगर से रामशकल यादव व ओंकार मिश्र की रिपोर्ट- गत चुनावों में मतदाताओं की मांग पर अच्छी तालीम ग्रामीण स्तर पर देने के लिए शासन 14 नवंबर 2011 को कवायद शुरू हुई। इसके तहत जिले में शैक्षिक ²ष्टि से पिछड़े आलापुर विधानसभा क्षेत्र के रामनगर को चुना गया। साढ़े तीन एकड़ भूमि पर तीन करोड़ दो लाख रूपये की लागत से पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल स्कूल निर्माण के लिए धन स्वी

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:31 AM (IST)
अधूरा पड़ा है राजकीय मॉडल स्कूल, स्वप्न ही रह गया केंद्रीय विद्यालय

शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा मुहैय्या करने के लिए तमाम वादे राजनीतिक दल व उनकी सरकारों द्वारा समय-समय पर किए गए। उनका क्रियान्वयन भी हुआ, लेकिन जमीनी धरातल पर वादे अपेक्षा के अनुरूप फलीभूत नहीं हुए। इससे बेहतर व गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए लोगों को अपने लाडलों को दूर भेजना पड़ रहा। आलापुर विधानसभा क्षेत्र हालांकि शिक्षा के संस्थानों के मामले में बेहतर है। यहां राजकीय महाविद्यालय है, लेकिन आवश्यकता के अनुसर शिक्षक व संसाधन नहीं है। चार आइटीआइ कॉलेज है जहां युवा को प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाया जा सकता है, लेकिन प्रशिक्षक व संसाधन यहां भी बेमानी साबित हो रहे हैं। परिणा स्वरूप कई ट्रेडों का संचालन ही नहीं हो पा रहा है। अच्छी शिक्षा हर अभिभावक की पहली प्राथमिकता है। बच्चों के भविष्य के यथासंभव जतन हर कोई करता है। चुनाव में फिर वादे होने शुरू हो गए हैं। ऐसे में बदहाली के भंवर में फंसी शिक्षा व्यवस्था जैसे बड़े मुद्दे पर प्रस्तुत हैं अंबेडकरनगर से रामशकल यादव व ओंकार मिश्र की रिपोर्ट-

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-भवन बयां कर रहा सात साल की कहानी

ग्रामीणक्षेत्र में अच्छी तालीम देने की कवायद शासन स्तर से 14 नवंबर 2011 को कवायद शुरू हुई। इसके तहत जिले में शैक्षिक ²ष्टि से पिछड़े आलापुर विधानसभा क्षेत्र के रामनगर को चुना गया। साढ़े तीन एकड़ भूमि पर तीन करोड़ दो लाख रुपये की लागत से पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल स्कूल निर्माण के लिए धन स्वीकृति हुआ। इसका आधारशिला समारोह पूर्वक रखा गया। इसे दो वर्ष में पूरा होने का लक्ष्य था, लेकिन सात वर्ष बाद भी अधूरा पड़ा है। इस कारण शिक्षण कार्य भी शुरू नहीं हुआ है।इसी तरह क्षेत्रीय सांसद के प्रयास से गत वर्ष केंद्रीय विद्यालय स्थापना की मंजूरी की स्वीकृति कराई गई। रामनगर विकास खंड के रामकोला गांव में तहसील प्रशासन लगभग चार एकड़ भूमि तलाश कर जिलाधिकारी के माध्यम से रिपोर्ट शासन को भेज दी। धन भी स्वीकृत हो गया, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हो सका। इतना ही नहीं 1996 में पंडित रामलखन शुक्ल के प्रयास से आलापुर में राजकीय महाविद्यालय की स्थापना की गई। यहां पढ़ाई हो रही है, लेकिन दो दशक बाद भी पूरे शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई। अधिकांश कक्षाएं बिना शिक्षकों के संचालित होती है। वाणिज्य विभाग में एक ही प्रवक्ता वर्षों से तैनात हैं। शिक्षकों को पूरा करने के लिए कई प्रयास हुए, लेकिन विफल रहे। चार राजकीय आइटीआइ भी संचालित हैं, जहां पर कई ट्रेडों का संचालन शिक्षक के अभाव में नहीं हो रहा है।

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-शिक्षा का महत्व समझें, इसी से होगा समाज व देश का विकास

चुनाव का दौर है तो हम सभी का सबसे बड़ा मुददा शिक्षा के विकास का है। इससे ही समाज व देश का विकास होगा। स्थानीय निवासी बद्रीनाथ ने कहा अबकी बार शिक्षा के बारे में सीधे तौर पर पूछा जाएगा कि आप लोगों ने कहा था कि 50 साल में सब सही हो जाएगा, क्या हुआ? । नाराजगी जताते हुए जनार्दन कहते हैं कि जब हमार लड़के बाहर पढ़ै जात हवै तव इनके वोट देहले से का फायदा। हम तो अपने मन से मतदान करेंगे। राजेंद्र शुक्ल का कहना है कि 20 वर्ष से अधिक हो गया है राजकीय महाविद्यालय निर्माण हुए अब तक पूरे शिक्षक की तैनाती नहीं हुई। अब सोचिए भवन पढ़ाएगा कि शिक्षक। वीरेंद्र इसे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का नतीजा मानते हैं। उनका कहना है कि यहां पर बेहतर तालीम नहीं मिल रही है। कहते हैं कि इस चुनाव में जब वोट मांगेने आएंगे तो इस बावत पूछकर नेतन के बेनकाब कयल जाई। शिवकुमार कहते हैं कि जीवन में शिक्षा का महत्व है। स्कूल न रहने से हम सब पढ़ लिख नहीं पाए। अब उहै हाल बच्चौ के साथ इ बर्दाश्त न होई। रामू ने कहा कक्षा आठ के बाद पढ़ाई के लिए कोई विद्यालय सरकारी नहीं है, लेकिन हर चुनाव में वादा मिलत है। इस बार तो मतदान अधिक करना है, लेकिन इन सवालों का जवाब ढंढ कर ही हमें निर्णय लेना है।


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